ऐतिहासिक विशालकाय कुएं की सफाई का अभियान शुरू
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मनपा ने लगाए पानी निकासी के लिए पंप, अग्निशमन विभाग भी करें मदद
डीआरएम गुप्ता के प्रयासों से शुरू हुआ कार्य
मानसून से पहले हो जाएं कुएं की सफाई - डॉ. डबली की मांग
नागपुर। मोतीबाग रेलवे कॉलोनी कामठी रोड स्थित 200 वर्ष पुराणे भोसलेकालीन ऐतिहासिक विशालकाय कुएं के सफाई का कार्य अंततः नागपुर महानगर पालिका के सहयोग से शुरू किया गया है। जिसके अंतर्गत पिछले 3 दिनों से कुएं से पानी निकासी का कार्य शुरू किया गया है।
पानी निकासी के इस सफाई अभियान के दौरान ऐतिहासिक भोसले कालीन यह कुआं जीवित पाया गया। पहले दिन लगभग एक मीटर पानी निकालने के बाद रात भर में 10 से 12 इंच पानी अपने आप रिचार्ज हो गया। दूसरे दिन भी करीब 1 मीटर पानी निकासी की गई। तीसरे दिन मनपा ने एक और पंप लगाकर पानी निकासी की जा रही है। जिससे अब तक सिर्फ 10 से 12 फीट पानी की निकासी की गई। यदि मनपा द्वारा अग्निशमन विभाग के पंपों की मदद भी इसमें करें तो पानी निकासी में तेजी आएगी। इस ऐतिहासिक कुएं की सफाई मानसून पूर्व हो सकेगी। दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के मोती बाग कॉलोनी में स्थित ऐतिहासिक भोसले कालीन कुआं पूरी तरह से जीवित होने के संकेत मिले हैं।
इस क्षेत्र में पानी की कमी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच यह संभावित रूप से एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। मीडिया में लगातार आ रही खबरों और जनता की मांग पर कार्रवाई करते हुए नागपुर नगर निगम (NMC) ने SECR के साथ मिलकर आखिरकार 150 से 200 साल पुराने कुएं की सफाई का अभियान शुरू कर दिया है। यह कदम SECR डिवीजन रेलवे मैनेजर (DRM) दीपक कुमार गुप्ता और इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों द्वारा 27 मार्च को किए गए निरीक्षण के बाद उठाया गया है, जिसमें कुएं को बहाल करने और जल आपूर्ति स्रोत के रूप में इसकी क्षमता का उपयोग करने के निर्देश दिए गए थे।
पूर्व क्षेत्रीय रेलवे उपयोगकर्ता सलाहकार समिति (जेडआरयूसीसी) सदस्य डॉ प्रवीण डबली जो पिछले कई वर्षों से कुएं के पुनरुद्धार के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि "कुएं में करीब 45 फीट पानी मौजूद है। इस क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक बताते थे कि यह कुआं 7 कुएं इतना गहरा है। एनएमसी ने 6 एचपी के 2 पंप लगाये है और पिछले 3 दिनों से पानी निकालने की प्रक्रिया चल रही है।"
सीएसआईआर- नीरी के प्रमुख तकनीकी अधिकारी डॉ सी. पद्माकर के मार्गदर्शन में संचालन के पहले दिन, प्रारंभिक औपचारिकताएं और सुरक्षा प्रोटोकॉल पूरे किए गए। हर 95 सेकंड में 500 लीटर से अधिक पानी निकाला जा रहा है, जो दर्शाता है कि कुएं की सफाई एक समय लेने वाली प्रक्रिया होगी। दिलचस्प बात यह है कि लगभग एक मीटर पानी निकालने के बाद कुआं रात भर में 12 इंच तक अपने आप रिचार्ज हो जाता है, जो इस बात का मजबूत संकेत है कि प्राचीन कुआं अभी भी सक्रिय है और पानी की आपूर्ति में योगदान दे सकता है।
डॉ डबली ने कहा, 'स्वचालित रिचार्ज से पता चलता है कि कुआं जीवित है और पानी का एक स्थायी स्रोत बन सकता है, जिससे इलाके में पानी का संकट कम हो सकता है'। रेलवे के कार्य निरीक्षक (आईओडब्ल्यू) द्वारा सफाई अभियान की बारीकी से निगरानी की जा रही है। डॉ. डबली ने आगे मांग की कि सफाई प्रक्रिया में तेजी लाने व इस प्रक्रिया को मानसून के पूर्व पूरा करने के लिए 4 से 5 अतिरिक्त पंप लगाए जाएं।
उन्होंने शहर की सामाजिक संस्थाओं, क्षेत्र के विधायक से भी आगे आकर इस कार्य में मनपा व रेलवे की मदद करने का आवाहन किया है। डॉ. डबली ने कहा, 'इस ऐतिहासिक कुएं का पुनरुद्धार न केवल विरासत में मिले संरक्षण की दिशा में एक कदम आगे है, बल्कि ऐसे समय में प्राकृतिक जल स्रोत के रूप में भी आशाजनक है, जब शहर पानी की बढ़ती मांग से जूझ रहा है'।