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संगीत सरगम ने डॉ शशिकांत ताम्बे को दी श्रद्धांजलि


नागपुर/इंदौर। संगीत सरगम के डॉ विवेक गावड़े ने बताया कि कंल की महफ़िल में मनोजकुमार के हर रंग के गानों को हमारे ग्रुप के कलाकारों ने बहुत ही खूबसूरती से पेश किया। मोहम्मद रफी, मुकेश, महेंद्र कपूर, मन्नाडे, तलत महमूद, लता मंगेशकर, शारदा जैसे गायकों को जिस शिद्दत से कलाकारों ने निभाया वो अलग ही समां बना। विवेक ताम्बे जी ने मनोजकुमार की अदाकारी को जीवंत स्वरूप दिया जिससे उनके अंदर के कलाकार को सभी ने महसूस किया और दाद दी। विष्णु भय्या ने इफ़्तदाए इश्क़ को माउथ ऑर्गन पर लाजवाब तरिके से बजाया।


कार्यक्रम की शुरुआत रमेश गुरु ने कस्मे वादे प्यार वफ़ा सब बाते है और जाने चमन शोला बदन में अपनी गायिकी से भरपूर दाद पायी। वेदही ने जो हमने दासता अपनी सुनाई द्वारा सभी को लुभाया। सनाया दहाले ने लग जा गले से द्वारा अपनी गायिकी से महफ़िल लूट ली। मोइन खान ने दूर रहकर न करो बात,कैसी हसीन आज बहारों की रात, और तेरी जवानी तपता महीना,मैं तो एक ख्वाब हु से महफिल में मनोजकुमार के हर रंग भर दिए। रोहित ओझा ने एक प्यार का नगमा,जिंदगी की न टूटे लड़ी ,दीवानों से ये मत पूछो जैसे गीतों से रंग भर दिया। मीता श्रोत्रिय ने नैना बरसे रिमझिम गीत गाया। 

अकरम खान ने तौबा ये मतवाली चाल और सज्जाद खोकर,राजेश सुगंधी ने भी गीत गाये। एक प्यार का नगमा है को सभी कलाकारों के साथ सभी संगीत रसिकों ने भी स्वर मिलाए। महफ़िल में डॉ शशिकांत ताम्बे को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ शशिकांत ताम्बे सर अमर रहे। उनकी यादों को नमन। वेदही, सनाया, मोइन भाई, रोहित जी, अकरम भाई, विष्णुकांत जी, मीता जी, रमेश गुरु जी, सज्जाद खोकर, राजेश सुगंधी सभी ने गीतों से समा बाँधा।अनिल बारगल दादा, श्रीधर कामत जी,आशिक जी, मिलींन्द जी, आशीष जी, फड़के दादा, फड़के वहिनी, रश्मि नाड़कर, जया शेट्टी, किरण फणसे, निधि दहाले जी, प्रसन्ना जी, मुक्ता ताई, पाराशर जी, सुमित त्रिवेदी भी मौजूद थे। 

महफ़िल में महंत श्री 108 देवी रुक्मिणी मिश्रा भी कलाकारों को प्रोत्साहन देने आयी। और महफ़िल का आनन्द लिया। पहली बार किसी अभिनेता के गीतों द्वारा श्रद्धांजलि दी गयी। आभार विवेक ताम्बे और सुजाता ताम्बे ने माना।

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