अब तो ललकारो दुश्मन को


अब तो ललकारो उनकों 
खूनी खेल रहे मजहब से 
हिंदू कह -कह कर मार रहे गोली 
नवविवाहिता की मांग कर दी सुनी
आँखों के सामने मार दि पति को गोली
 निहत्थो पर वार कर 
अरमानों को कुचल दिया। 

अब तो ललकारो उनको 
पहलगाम के पर्यटकों को 
दहशत में झोंक दिया 
खुश थे जो परिवार संग 
उसी परिवार को उजाड़ दिया 
खाली आतंक फैलाते हैं 
मजहब के नाम पर 
भारत के हिन्दू - मुस्लिम को 
आपस मे लड़वाते  हैं 
हम हिंदू पर छुप कर धात लगाते हैं। 

अब तो ललकारो उनकों
देश के वीर जवानो 
ऐसी सजा दो उनकों 
कापे उनका जहान
ऐसी हालत कर दो उनकी 
मौत को भी तरसे
हिंदूओ के नाम से ही पसीने उनके छुटे। 
आतंक करना भुल कर बस हिंदू - हिंदू नाम जपे। 

- मेघा अग्रवाल
   नागपुर, महाराष्ट्र
काव्य 538174644017901966
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