अंडमान- निकोबार में नवीकरण पाठ्यक्रम का समापन समारोह संपन्न
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नागपुर/हैदराबाद। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा अंडमान- निकोबार द्वीपसमूह के माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए ‘482वें नवीकरण पाठ्यक्रम’ का आयोजन किया गया है। जिसका समापन समारोह दि. 26 अप्रैल को राज्य शिक्षा संस्थान, शिक्षा सदन, श्री विजयपुरम के सभागार में संपन्न किया गया।
इस नवीकरण पाठ्यक्रम में कुल 48 (महिला- 35, पुरुष-13) माध्यमिक विद्यालय के हिंदी अध्यापकों ने प्रतिभागिता की। इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे भाषाविज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, ध्वनिविचार, उच्चारण, भाषा परिमार्जन, भाषा कौशल, डॉ. फत्ताराम नायक हिंदी व्याकरण के विविध पक्ष, भारत के प्रमुख त्योहार, बहुभाषिकता, डॉ. मयंक त्रिपाठी हिंदी शिक्षण में नवीनत तकनीकों एवं एआई के प्रयोग तथा प्रभाव, शिक्षा मनोविज्ञान एवं अधिगम विधियाँ, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय चेतना, शिक्षा के अभिकरण, डॉ. एन. लक्ष्मी प्रयोजन मूलक हिंदी, हिंदी शिक्षण में भाषा प्रौद्योगिकी का प्रयोग, डॉ. राम कृपाल तिवारी हिंदी भाषा का उद्भव व विकास, हिंदी साहित्य का इतिहास, डॉ. रमेश कुमार भारतीय ज्ञान परंपरा तथा दर्शन एवं श्रीमती शिवानी ने हिंदी शिक्षण के विभिन्न पहलू आदि विषयों का अध्यापन कार्य संपन्न किया।
समापन समारोह कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में टैगोर राजकीय शिक्षा महाविद्यालय, श्री विजयपुरम, की प्राचार्य डॉ. मंजू लता राव एवं विशिष्ट अतिथि राज्य शिक्षा संस्थान, श्री विजयपुरम की प्राचार्य श्रीमती संगीता चंद सम्मानित उपस्थित रही। इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक एवं विशेष अतिथि डॉ. मयंक त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, (सूचना एवं भाषा प्रौद्योगिकी, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा), राज्य शिक्षा संस्थान की समन्वयक श्रीमती एन.सी. रानी तथा श्रीमती सुनीता शर्मा मंच पर उपस्थित रहे।
समापन समारोह कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना द्वारा किया गया। इसके पश्चात स्वागत गीत, संस्थान गीत एवं अतिथियों का स्वागत परिचय किया गया। सरस्वती वंदना श्री रोधक कुमार शर्मा द्वारा प्रस्तुत की गई। संस्थान गीत तनु अधिकारी। तथा समूह, स्वागत गीत फरहीन बेगम तथा समूह द्वारा प्रस्तुत किए गए। अतिथियों का स्वागत एवं परिचय शिवानी द्वारा प्रस्तुत किया। प्रतिभागियों द्वारा अतिथियों का शॉल एवं पुष्पगुच्छ द्वारा स्वागत सम्मान किया गया। क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे द्वारा मंचस्थ अतिथियों का स्वागत सम्मान संस्थान के अंगवस्त्र तथा माला पहनाकर किया गया। प्रतिभागियों द्वारा इस कार्यक्रम के दौरान तैयार की गई विभिन्न शिक्षण सहायक सामग्रियों की प्रदर्शनी भी प्रस्तुत की गई।
समापन समारोह की मुख्य अतिथि डॉ. मंजू लता राव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी शिक्षकों से आग्रह किया कि ज्यादा से ज्यादा अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और इस पाठ्यक्रम में प्राप्त प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन को अपने विद्यालयों में कक्षा कक्ष में प्रयोग करें। जिससे इसका लाभ विद्यार्थियों को भी मिले हैं। अध्यापन के दौरान छात्रों की सहभागिता सुनिश्चित करें।
विशिष्ट अतिथि श्रीमती संगीता चंद द्वारा प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए अनुरोध किया कि वे अपने विद्यार्थियों को हिंदी में शुद्धता के साथ अधिक से अधिक बोलने, लिखने और पढ़ने के लिए प्रेरित करें एवं अपने सहयोगी शिक्षकों को भी हिंदी सीखने-सीखाने में सहायता करें। उन्होंने इन प्रतिभागियों को मेंटर के रूप में कार्य करने के लिए चयनित किया। इसके लिए उन्होंने राज्य शिक्षा संस्थान द्वारा शुरू किए गए पहल "अंकुरण" पोर्टल को प्रयोग में लाने के लिए उत्साहित किया।
आभासी मंच के माध्यम से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने कहा कि जिन उद्देश्य को लेकर हम प्रशिक्षण में जुड़े उसकी कितनी पूर्ति हुई। भाषा सुधार के लिए ऐसे प्रशिक्षण बहुत आवश्यक है। हिंदी स्वतंत्रता के बाद भी वह स्थान प्राप्त नहीं कर पाई जो मिलना चाहिए। दो सप्ताह में प्राप्त ज्ञान को आगे अपने विद्यार्थियों में देना है। हिंदी आज पूरे विश्व में अपनी पहचान बना रही है। निदेशक महोदय ने इस कार्यक्रम के बारे में प्रतिभागियों के विचार भी जाने।
इस अवसर पर पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक ने कहा कि शिक्षक समाज का निर्माता होता है। यहाँ से जाकर अध्यापकों ने समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर अपने छात्रों को तन, मन, धन से शिक्षा देने का प्रयास करना चाहिए। हस्तलिखित पुस्तक के माध्यम से अंडमान-निकोबार की कला, संस्कृति की जानकारी सभी को मिलती है। डॉ. मयंक त्रिपाठी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग अपने अध्ययन-अध्यापन में अवश्य करें। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 तथा एनसीएफ में दिए गए प्रावधानों के अनुसार अध्यापन कार्य संपन्न करें। योग्यता आधारित शिक्षण पद्धति का प्रयोग कर विद्यार्थियों के कौशल विकसित करें।
पाठ्यक्रम संयोजक एवं क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप यहाँ से प्राप्त ज्ञान अपने छात्रों को देंगे, बार-बार दोहराते रहने से आपका ज्ञान पक्का होगा। उसके लिए पढ़ने की क्रिया लगातार करना है। उच्चारण व लेखन की अशुद्धियों को कैसे दूर करना है, इस पर निरंतर कार्य करने की आवश्यक है। हिंदीतर भाषी क्षेत्र में हिंदी वर्णमाला का ठीक ठीक ज्ञान न होने से उनके उच्चारण एवं लेखन में गलतियाँ होती हैं, इसके लिए अभ्यास एवं विद्यार्थियों के साथ विश्वास पूर्ण संबंध अति आवश्यक है।
इस कार्यक्रम का संचालन हाज़रा मंडल तथा सुमीत राय द्वारा किया गया। आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन शिल्पा मिश्रा द्वारा प्रस्तुत किया गया।
इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने हस्तलिखित पत्रिका 'द्वीप दर्शिका' की रचना की। समापन समारोह के दौरान अतिथियों द्वारा 'द्वीप दर्शिका' हस्तलिखित पत्रिका का लोकार्पण किया गया। प्रतिभागियों को अतिथियों के द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किए गए। पर-परीक्षण के आधार पर उत्तम अंक प्राप्त छात्रों को विशेष पुरस्कार दिए गए। पृथा राॅय को प्रथम, राकेश को द्वितीय, दीपक उपाध्याय को तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए। श्री बारदोलोमिऊ एवं श्रीमती हनाह फ्रेड को प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए गए।
इस पाठ्यक्रम के समापन समारोह में प्रतिभागियों द्वारा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। पाठ्यक्रम से संबंधित प्रतिक्रियाएँ श्री करण पटेल, सपना, शिल्पा मिश्रा, फरहीन बेगम तथा दीपक कुमार उपाध्याय द्वारा दी गईं। देशभक्ति गीत दीक्षा देवी ने प्रस्तुत किया। स्वरचित कविता की रोनक, अक्षय, बसंत ने प्रस्तुतियाँ दीं। अंत में राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ।