अभिनंदन मंच में 'जल है तो कल है' का सफल आयोजन
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नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम अभिनंदन मंच (ज्येष्ठ नागरिकों का सम्मान) के अंतर्गत 'जल है तो कल है' का कार्यक्रम आयोजित किया गया। अध्यक्षता केदार आर. मिश्रा सीनियर इंजीनियर नागपुर महानगर पालिका ने की। मंच पर हेमंत पांडेय मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत बच्चू पांडेय ने अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर किया।
केदार आर. मिश्रा ने उद्बोधन में कहा कि पानी की पूर्ति कन्हान नदी से किया जाता है। पानी किस तरह से सप्लाई किया जाता है उसके बारे में बताया। पानी सप्लाई के पहले केमिकल डाला जाता है। इसके पहले घरों में यह देखा गया पानी की बड़ी - बड़ी टंकियों में अब हमें बोतल में पानी देखने को मिल रहा है। 737 MLD पानी की सप्लाई पूरे शहर में की जाती है। प्रति दिन एक व्यक्ति को 135 लीटर पानी लगता है।
बरसात के पानी का उपयोग घर के निर्माण के लिए करना चाहिए। पानी की बचत करना है तो पीने का पानी सिर्फ पीने के लिए ही इस्तेमाल करना चाहिए। घर के दूसरे कामों के लिए कुएं या बोरिंग के पानी उपयोग करना चाहिए। नागपुर शहर का इतिहास 300 साल पुराना है। 4335 किलोमीटर पाईप लाईन नागपुर में बिछाई गई है। 737 MlLD पानी की सप्लाई की पूरे शहर को की जाती है।
कार्यक्रम का संचालन डा. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया। इस परिचर्चा में सहभागिता रही सर्वप्रथम माया शर्मा ने कहा -औद्योगिक कार्य के लिए पानी बड़े पैमाने में उपयोग किया जाता है। वैभव शर्मा ने कहा - ग्रामीण इलाके में गंदा पानी पीना पड़ता था तो उस पानी को पीने योग्य बनाने के लिए आरो का इस्तेमाल करके जलपूर्ति की जाती थी। विजय तिवारी ने कहा -मुझे पेड़ लगाना पसंद है कई स्थानों पर पेड़ लगाए। सामाजिक सेवा करना मेरा पहला दायित्व बनता है. सुष्मा भांगे ने कहा - पानी की बचत किस तरह से करना चाहिए। जल है तो कल है, कई बिन्दुओं पर अपने विचार रखे.
रमेश मौंदेकर ने कहा - पानी ही जीवन है। पशु- पक्षियों के लिए जितने पानी की आवश्यकता है उतना पानी का ही उपयोग करें। मदन गोपाल वाजपेई ने अपने वक्तव्य में कहा - उन्होंने बहुत ही मार्मिक बाते कही जिनकी आंखों में संवेदनाएं होती है उसी आंख में पानी आता है। एक बार अपने मित्र के यहां गए तो आधा गिलास पानी पीने को दिया। उस मित्र से यह सीख मिली पानी का मोल पहचानिए। हेमंत पांडेय ने कहा -इसी पानी के लिए पूरा परिवार मिलकर अपने घर में कुंआ खोद डाला। माधुरी राऊलकर ने अपने गज़ल के अंदाज में अपने विचार रखे - बच्चे बुजुर्ग सबकी नज़र पानी पे, परेशां है सारा शहर में।
कार्यक्रम में बलदेव जुनेजा, पूनम जे.पाडिया, विनायक चिंचोलकर, मोहन हनुमान प्रसाद तिवारी, अशोक कुमार शुक्ला, जगत वाजपेई, प्रवीण तिवारी, भागवत पांडेय, संजय चतुर्वेदी, पंचराज चतुर्वेदी, जितेन्द्र शर्मा, डी. पी. भावे, नरेंद्र ढोले, प्रफुल्ल लाखे, जया लाखे, मोहन खन्ना, विजय वाघमारे, जितेन्द्र पेन्दाम की उपस्थिति रही।