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हिंदी भाषा संचेतना शिविर का उद्घाटन समारोह संपन्न




नागपुर/हैदराबाद। केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र द्वारा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद, हैदराबाद में बी.एड्. महाविद्यालय के छात्रों के प्रशिक्षण के लिए 1 अप्रैल से दि.12 अप्रैल तक ‘15वें हिंदी भाषा संचेतना शिविर’ का आयोजन किया गया है। जिसका उद्घाटन समारोह 1 अप्रैल को दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैराबाद के सभागार में संपन्न किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के उपाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र दुबे ने की। 


मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ तेलुगु साहित्यकार एवं पूर्व कुलपति पोट्टि श्रीरामुलु तेलुगु विश्वविद्यालय, प्रो. एन. गोपि तथा मुख्य वक्ता के रूप में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी, विशिष्ट अतिथि के रूप में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाणा की सचिव (प्रभारी) एवं संपर्क अधिकारी श्रीमती ए. जानकी, शिक्षा महाविद्यालय, द.भा.हिं.प्र. सभा, खैरताबाद के प्राचार्य डॉ. सी.एन. मुगुटकर उपस्थित थे। इस अवसर पर पाठ्यक्रम संयोजक केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक मंच पर उपस्थित रहे। इस हिंदी भाषा संचेतना शिविर में कुल 49 (महिला-26, पुरुष-23) बी.एड्. के छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया।


सर्वप्रथम माँ शारदे के समक्ष मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना महाविद्यालय की बी.एड्. छात्राओं द्वारा की गई। अतिथियों का शॉल एवं पुष्पगुच्छ द्वारा स्वागत क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे तथा प्राचार्य डॉ. मुगुटकर द्वारा किया गया। शब्द सुमनों द्वारा स्वागत एवं परिचय डॉ. दीपेश व्यास ने किया।


केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र से प्रकाशित यूजीसी केयर सूची में सम्मिलित ‘समन्वय दक्षिण’ पत्रिका के अक्टूबर- दिसंबर, 2024 अंक जो प्रो. एन. गोपि जी पर केंद्रित है, का विमोचन केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के उपाध्यक्ष महोदय एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त तेलुगु साहित्यकार प्रो. एन. गोपि जी के करकमलों द्वारा किया गया।


इस पाठ्यक्रम के दौरान प्रो. गंगाधर वानोडे भाषाविज्ञान तथा उसके विविध पक्ष, ध्वनिविचार, उच्चारण, भाषा परिमार्जन, भाषा कौशल, डॉ. फत्ताराम नायक हिंदी व्याकरण के विविध पक्ष, भारत के प्रमुख त्योहार, बहुभाषिकता, डॉ. दीपेश व्यास हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, हिंदी भाषा का उद्भव व विकास, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय दर्शन एवं जीवन पद्धति, योग शिक्षा, डॉ. अरुणा देवी वाचन अभ्यास, लेखन कौशल, वार्तालाप अभ्यास, डॉ. डी. देसाई हिंदी के विविध रूप, शब्द निर्माण (उपसर्ग, प्रत्यय), मुहावरे, लोकोक्तियाँ, श्रीमती शैलषा नांदुरकर हिंदी शिक्षण में तकनीकी का प्रयोग, हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ तथा डॉ. वाई. ललिता कुमारी शैक्षिक अध्ययन की इकाइयाँ आदि विषयों का अध्यापन कार्य संपन्न करेंगे।


मुख्य अतिथि प्रो. एन. गोपि ने अपने वक्तव्य में कहा कि जो विद्यार्थियों की संपदा एक शिक्षक के पास होती है वह किसी के पास नहीं होती। शिक्षक एक राष्ट्रपिता की भूमिका में राष्ट्र का निर्माण करता है और संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधता है। इस दौरान उन्होंने अपने जीवन के अनुभव भी साझा किए।

आभासी मंच के माध्यम से केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के निदेशक एवं इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. सुनील बाबुराव कुळकर्णी ने कहा कि इस शिविर के माध्यम से छात्र-छात्राओं का भाषिक कौशल निखर कर सामने आएगा और यह आदर्श शिक्षक बनकर सामाज के सामने उभरेंगे। समाज में गुरु का दर्जा गोविंद से भी बढ़कर बताया गया है इसलिए चुनौतियों को स्वीकार करते हुए राष्ट्र का निर्माण करना ही शिक्षक का मुख्य कार्य है।

अध्यक्षीय वक्तव्य में केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के उपाध्यक्ष माननीय प्रो. सुरेंद्र दुबे ने कहा कि अध्यापक होना अनेक पुण्यों का संचित फल है जो कई जन्मों में मिलता है। शिक्षक अपने कौशल के माध्यम से छात्रों में नई ऊर्जा का संचार करता है जो आगे चलकर देश के विकास में अहम् भूमिका निभाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भाषा कोई भी हो उसमें निहित संस्कृति एक ही होती है। जिस तरह हमारी पूजा पद्धति अगल-अलग हो सकती है मगर ईश्वर एक है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती ए. जानकी ने कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो हमें आपस में जोड़कर रखती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि शिक्षक हमेशा सीखने की प्रक्रिया में रहता है। वह समाज से सीखता है और फिर अपने अनुभवों से अपने छात्रों को सिखाता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. सी.एन. मुगुटकर ने कहा कि हिंदी भाषा संचेतना शिविर के माध्यम से छात्रों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा और उनके कौशल का विकास होगा।

प्रो. गंगाधर वानोडे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी इस शिविर के माध्यम से अपने भाषाई कौशलों को निखारेंगे। इसके लिए सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना के क्रम में छात्र अपनी भाषाई त्रृटियों को सही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय चैनल पर प्रसारित समाचारों को ध्यान से सुनना चाहिए, जो मानक शब्दों में प्रसारित किया जाता है। साथ ही इस संचेतना शिविर के उद्देश्यों एवं रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर बी.एड्. छात्रा ने अपनी अपेक्षाएँ रखते हुए कहा कि मानक हिंदी की पहचान किस प्रकार की जाए? वचन की पहचान, हिंदी उच्चारण संबंधी त्रुटियाँ हमारी प्रमुख समस्या है। हमें आशा है कि इस शिविर के माध्यम से उनका निराकरण होगा। छात्र प्रेम कुमार मिश्र ने कहा कि हिंदी उच्चारण की त्रुटियाँ, संयुक्ताक्षर एवं मात्रा लेखन की त्रुटियों तथा उससे उच्चारण संबंधी त्रुटियों जैसी समस्याओं के समाधान की आवश्यकता है।

इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. फत्ताराम नायक ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. एस. राधा ने आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। डॉ. संदीप कुमार ने प्रशासनिक एवं लेखा कार्य तथा श्री सजग तिवारी ने तकनीकी सहयोग दिया।

इस अवसर पर सर्व प्रथम प्रेमचंद और प्रवासी साहित्य के गंभीर अध्येता तथा केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, आगरा के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर गोयनका जी का लंबी बीमारी के बाद दिनांक 1 अप्रैल की सुबह निधन तथा केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद केंद्र के कर्मचारी श्री शेख मस्तान वली की माता जी के निधन पर एक शोक सभा आयोजन किया गया। इस दौरान उपस्थित सभी सदस्यों ने दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनके परिवार के सदस्यों को इस दारुण दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की
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