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भारी वाहनों की आवाजाही से खतरे में शहीद गोवारी फ्लाईओवर


प्रशासन की चुप्पी से बढ़ा हादसे का खतरा

नागपुर। शहर के दिल में स्थित शहीद गोवारी फ्लाईओवर पर वर्षों से भारी ट्रैफिक का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस फ्लाईओवर पर हैवी व्हीकल्स के प्रवेश पर स्पष्ट रूप से रोक है, बावजूद इसके सरेआम भारी वाहन इस पुल से गुजर रहे हैं। प्रशासन इस मुद्दे पर पूरी तरह मौन है, मानो किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा हो।

 सुरक्षा नियमों की धज्जियां -


शहीद गोवारी फ्लाईओवर मूल रूप से हल्के और मध्यम वाहनों के लिए तैयार किया गया था। तकनीकी मानकों और इंजीनियरिंग विश्लेषण के अनुसार, यह पुल भारी ट्रक, कंटेनर और मालवाहक गाड़ियों का भार सहन करने के लिए उपयुक्त नहीं है। फिर भी, दिन-रात इस पर ट्रक और भारी वाहन दौड़ते नजर आते हैं।

प्रशासन की लापरवाही -


स्थानीय नागरिकों और यातायात विशेषज्ञों का कहना है कि पहले यहां पुलिस भी तैनात रहती थी। और लिमिट बार भी लगे थे। लेकिन कुछ साल पहले वो किसी हैवी वहां की टक्कर से टूट गए। उसके बाद बने हैं नहीं। लगता है प्रशासन जानबूझकर इस मामले को नजरअंदाज कर रहा है। न तो ट्रैफिक पुलिस की कोई गश्त दिखाई देती है, और न ही कोई बैरिकेडिंग या चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। पिछले कई महीनों से यह मुद्दा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. प्रवीण डबली खबरों के माध्यम से लगातार  उठा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

बूटीबोरी फ्लाईओवर की यादें ताजा -


शहरवासियों को बूटीबोरी फ्लाईओवर हादसा आज भी नहीं भूला है, जहाँ पुल का एक हिस्सा भारी भार के कारण धंस गया था। आज तक वह सुधार नहीं गया। अब सवाल यह उठता है कि क्या शहीद गोवारी फ्लाईओवर भी उसी दिशा में बढ़ रहा है? क्या एक और त्रासदी की प्रतीक्षा की जा रही है?

डॉ. प्रवीण डबली ने की प्रशाशन से मांग की है कि हैवी ट्रैफिक पर तत्काल रोक लगाई जाए, फ्लाईओवर की संरचनात्मक जांच हो , ट्रैफिक पुलिस की नियमित निगरानी सुनिश्चित की जाए  उसी तरह नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर भारी जुर्माना लगाया जाएं। 

डॉ. डबली ने कहा कि शहर के बीचोंबीच स्थित एक महत्वपूर्ण फ्लाईओवर की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। अगर समय रहते प्रशासन जागरूक नहीं हुआ, तो शहीद गोवारी फ्लाईओवर भविष्य में एक बड़े हादसे का कारण बन सकता है। अब ज़रूरत है सख्त कदम उठाने की, ना कि हादसे के बाद पछताने की।

- डॉ. प्रवीण डबली (वरिष्ठ पत्रकार)
   नागपुर, महाराष्ट्र 

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