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संगीत सरगम ने निराश्रित वृद्धाश्रम में म्यूजिक थेरेपी दी



ड़ॉ विवेक गावड़े ने बताया कि निराश्रित वृद्धाश्रम में करीब 105 वृद्ध लोगो हैं उनमें करीब 50 को म्यूजिक थेरेपी दी

निराश्रित वृद्धाश्रम के संस्थापक यश पाराशर ने 21 वर्ष की आयु में इसकी स्थापना की। जो कि बगैर शासकीय अनुदान या डोनेशन से चलता हैं। 3 से 4 दोस्तो ने मिलकर निराश्रित वृद्धाश्रम की स्थापना की । जिसमे मानसिक के साथ शारिरिक समस्या से ग्रसित भी वृद्धजन को डॉ सुधीर शिटोके जो कि फिजियोथेरेपिस्ट देखते हैं। 

पितृपर्वत पर अंदर स्थित इस वृद्धाश्रम में जैसे ही कलाकारों की स्वरलहरियां गूँजने लगी सभी वृद्धजन सुनने के लिए बैठ गए। वेदही पाराशर ,रोहित ओझा,अरविंद सिंह भदौरिया, रमेश गुरु,नेहा  ठाकुर ने शाम 4 बजे डॉ विवेक गावड़े के मार्गदर्शन में अनेक रसभरे गीतों से समां बाँधा।

जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर,तू ही माता तू ही पिता है, कान्हा कान्हा आन पड़ी मै तेरे द्वार,ये चमक ये दमक गुलवन में महक,शिर्डी वाले साई बाबा,किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार,एक प्यार का नगमा हैं,ये तो सच है कि भगवान है जैसे अनेक गीतों से वृद्धजनों को झूमने और ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। 

संगीत सरगम लगातार शहर में संगीत के द्वारा विभिन्न प्रयोग कर रही हैं। इससे पूर्व केंद्रीय जेल में कैदियों को भी म्यूजिक थेरेपी दी है। उसके बाद आस्था वृद्धाश्रम में भी वृद्धजनों को म्यूजिक थेरेपी दी थी।
एक निराश्रित वृद्धाश्रम की वृद्ध महिला ने ए मालिक तेरे बन्दे हम गाकर अपनी गायिकी से सभी को रोमांचित कर दिया।

विष्णुकांत शर्मा ने माउथ ऑर्गन पर गीत सुनाया। वरिष्ठ संगीत समीक्षक श्रीधर कामत ने संगीत सरगम के बारे में बताया और कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई। प्रिया गावड़े ने आभार माना।अंत मे राष्ट्रगीत से कार्यक्रम का समापन किया।
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