नागरी लिपि परिषद और रचना दर्शन द्वारा हुई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
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नागपुर/मुजफ्फरपुर। नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के 50 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में नागरी लिपि परिषद बिहार इकाई और रचना दर्शन बिहार के संयुक्त तत्वावधान में आनलाइन अंतरराष्ट्रीय आभासी नागरी लिपि संगोष्ठी का भव्य आयोजन 10 अप्रैल 2025 को किया गया। संगोष्ठी का विषय 'वैश्विक परिदृश्य में नागरी लिपि की भूमिका' पर सराहनीय परिचर्चा हुई।
संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ.भगवती प्रसाद निदारिया (पूर्व उपनिदेशक ’भाषा’, केंद्रीय हिंदी निदेशालय,शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा किया गया। कार्यक्रम के आयोजक डॉ.हरि सिंह पाल (महामंत्री, नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली) थे। कार्यक्रम का खूबसूरत संचालक उत्कृष्ट लेखिका व संयोजक रजनी प्रभा (संस्थापिका- रचना दर्शन) ने किया।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से हुई।इसके बाद स्वागत भाषण डॉ. रूबी भूषण, साहित्यकार, पटना द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता के रुप में डॉ. अरुण कुमार पासवान, (पूर्व सहायक निदेशक (कार्यक्रम), आकाशवाणी) नई दिल्ली ने नागरी लिपि के उपर बेहद ज्ञानवर्धक एवं रोचक बातें रखी। डॉ.जयकृष्ण मिश्रा ’चैतन्य’,दुबई (अंतरराष्ट्रीय संरक्षक/समन्वयक, रचना दर्शन) वक्ता के रुप में दुबई से शामिल हुए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने अनुभव को साझा किया।
अध्यक्ष महोदय का नागरी लिपि पर शानदार भाषण हुआ। डॉ. हरिसिंह ने अपने उद्बोधन में नागरी लिपि की स्थापना कैसे हुई और किस प्रकार इसका पूरे विश्व में विस्तार हो रहा है इसकी पूरी जानकारी दी।उपस्थित साहित्यकारों में अंजू शर्मा, अनिल मिश्रा, कवि एवं पत्रकार विनय शर्मा दीप मुंबई, दिवाकर विद्यार्थी, धीरेंद्र श्रीवास्तव, डॉ अशोक अभिषेक, डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह, दुर्गावती भारतीय, गंगा प्रसाद यादव, ताबा याम, अंजू शर्मा, अंशु कुमारी, डेनियल राजेश, राजेंद्र आर्य,प्रियवंदा मिश्रा, रुबी भूषण सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नूरजहां रहमतुल्लाह पुणे द्वारा किया गया।