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कवि संतोष बादल का 'नीर भरी दुख की बदली' कविता संग्रह लोकार्पित


महादेवी जी के जन्म दिवस पर अनोखा स्मरण 

नागपुर। एक अनोखे तरह से  संतोष बादल ने विश्व प्रसिद्ध कवयित्री  महादेवी वर्मा को उनके 80 वर्षीय जीवन पर 80 कविताओं के काव्य संग्रह 'नीर भरी दुख की बदली' का विमोचन सुप्रसिद्ध मेडिकल शिक्षाविद डा वेदप्रकाश मिश्रा की अध्यक्षता में तथा डॉ मनोज पांडेय के हस्ते उत्कर्ष मोर भवन में सार्थक कर उनके जन्मदिन पर उन्हें 'भावांजलि' प्रस्तुत की।

विशेष अतिथि के रूप में पधारी सुप्रसिद्ध साहित्यकार इंदिरा किसलय ने पुस्तक की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत करते हुए संतोष बादल के सहज सरल और सरस लेखन पर साधुवाद दिया। सुप्रसिद्ध साहित्यकार अविनाश बागड़े ने प्रस्तावना के साथ ही मंचस्थ सभी व्यक्तियों का परिचय सदन से कराया।संचालन रोशनी नायक, असिस्टेंट प्रोफेसर, बिनझानीं महाविद्यालय ने किया। 

अपने अध्यक्षीय प्रबोधन में डा वेदप्रकाश मिश्रा ने अपने सार्थक संबोधन में महादेवी जी द्वारा संतोष पांडे को बादल उपनाम देने के प्रसंग का संदर्भ देते हुए इस काव्य संग्रह के  लोकार्पण के साथ ही उन्हें इस ऋण से मुक्त होना निरूपित किया। मुख्य अतिथि मनोज पांडेय ने मात्र 27 दिन में 80 प्रसंगों को कविताओं में ढालने की प्रक्रिया को लेखक का लेखन के प्रति अदभुत समर्पण बताया।

अपने सत्कार के प्रत्युत्तर में सत्कारमूर्ति संतोष बादल ने अपना मनोगत व्यक्त करते हुए.कहा कि महादेवीजी के सादगी पूर्ण संन्यस्त जीवन से उन्हें प्रेरणा मिली। उन्होंने जीवन भर आईना नहीं देखा और मात्र श्वेत परिधान धारण किए। 18 कृतियों के अलावा 'चाँद' पत्रिका और 'साहित्य संसद' भी उनके सृजन धर्म के प्रतिमान हैं। 'बादल' उपनाम उनकी ही वाणी का प्रसाद है।महाप्राण निराला , पंत जी एवं सुभद्राकुमारी चौहान से उनके आत्मीय संबंध थे।उनके आँगन में पलने वाले जीव  एवं पुष्प वाटिका उनका स्नेह पाकर फलती फूलती रही।यही उनका परिवार था।

पुस्तक की समीक्षा करते हुए विशेष अतिथि इंदिरा किसलय ने कहा कि महादेवीजी का आशीष ही बादलजी के सृजनकर्म की प्रेरणा है। 31 किताबों के प्रणेता बादलजी की बहुआयामी रचनात्मकता, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा तीन बार सम्मानित की जा चुकी है। कृति में जहां महादेवीजी के जीवन के क्रमिक प्रसंगों का गीतात्मक चित्रण है वहां भाषा भी तदनुरूप प्रांजल एवं संस्कृतनिष्ठ है। यह कृति अपूर्व एवं अनूठी है। व्यंग्यकार अनिल मालोकर ने अपने चिर परिचित अंदाज में आभार प्रदर्शन का दायित्व पूर्ण किया। स्नेह पांडेय ने कार्यक्रम के सफलतार्थ पुख्ता प्रयास किए।

कार्यक्रम में सर्वश्री किशन शर्मा सुप्रसिद्ध उद्घोषक, सत्येंद्रप्रसाद सिंह, हरीश गुप्ता, रामकृष्ण सहस्रबुद्धे, रति चौबे, रूबी दास, पूनम मिश्रा, डा स्वर्णिमा सिन्हा, माधुरी राउलकर, रविंद्र मिश्रा, पूनम हिंदुस्तानी, मधु सिंघी, सुधा राठौर, प्रभा मेहता, श्रीवास्तव, सुरेंद्र हरड़े, अतुल त्रिवेदी, मुकेश सिंह, देवयानी बनर्जी, बनर्जी सर, नरेंद्र परिहार, राजेंद्र मिश्र राज, अरुणा चटर्जी, आयोन बोस, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी राजेश राऊत, अशोक तिडके, राजेश यादव, सुग्रीव पांडेय तथा अन्य शुक्ला, संजय नगराळे, हिना ठक्कर, नीलम शर्मा राजेश दुबे, चंद ठाकुर, पृथ्वी सिंह भर्तृवाल, विनय पांडेय, गुलाब दुबे, रविंद्र मिश्रा, विजय तिवारी आदि गणमान्य  स्नेही जनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही
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