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जरीपटका में नवनिर्मित भगवान झूलेलाल के मंदिर में होंगे धार्मिक आयोजन


जल- ज्योति पूजन के लिए कृत्रिम जलाशय 

नागपुर। सिन्धी समाज के इष्टदेव वरुणावतार भगवान झूलेलाल  साईं के जरीपटका में नवनिर्मित मोहक मंदिर में 30 मार्च को चेट्रीचंड्र पर विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे. यहां जल-ज्योति के विधिवत् पूजन के लिए कृत्रिम जलाशय आकर्षण का केन्द्र है. यह मूलतः छत्तीसगढ़ में स्थित चकरभाटा के सिन्धु अमरधाम आश्रम की स्थानीय शाखा है, जहां प्रतिमाह "साओ आर्तवार" के दिन वर्तमान गद्दीनशीन साईं लालदास जी समुपदेशन के लिए आते हैं.

बाबा गुरमुखदास धाम स्थापित 

नगर शाखाध्यक्ष महेश आनंदानी ने बताया कि 2023 में निर्मित इस धर्मस्थल का इतिहास गौरवशाली है. 1947 में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर अविभाजित भारत के सिन्ध प्रांत में गुरमुख नामक एक विलक्षण बालक का जन्म हुआ, जो भगवान शिव का अनन्य भक्त था. अपनी माता के आदेश पर बालक ने इष्टदेव झूलेलाल की निष्ठापूर्वक आराधना कर कई सिद्धियां प्राप्त कीं और हिन्दुत्व के धर्मोत्थान के साथ ही मानव-कल्याण प्रारंभ किया. देश के विभाजन के बाद चकरभाटा में बाबा गुरमुखदास धाम की स्थापना की गई, जिसकी शाखाएं भारत के कई शहरों में खोली गईं.  

वर्ष भर धार्मिक अनुष्ठान


सिटी शाखा के वरिष्ठ सेवाधारी भूषण परियानी के अनुसार यहां वर्ष भर धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से विश्व-शांति एवं समृद्धि की कामना की जाती है. प्रतिदिन सुबह 10 बजे तथा सायं 7.30 बजे महाआरती होती है.
हर महीने चंद्रदर्शन पर भजन-कीर्तन, धूनी साहिब व महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है. वर्ष में 2 बार 'झूलेलाल चालीहा' के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों के साथ ही बच्चों के लिए विभिन्न स्पर्धाएं मन मोह लेती हैं. धाम की ओर से भविष्य में समाज-कल्याण के उपक्रम प्रारंभ करने की भी योजना है.
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