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रविन्द्र अरोरा के साथ एक स्वर्णिम युग का अंत हुआ


- डॉ. सैय्यद खालिद कैस 
लेखक, पत्रकार, आलोचक, विचारक 

यूं तो मानवता के पुजारी श्री रविन्द्र अरोरा मुंबई से मेरा कोई खास परिचय नहीं था, लेकिन उनसे हुई संक्षिप्त मुलाकातों में उनके आत्मीय व्यवहार ने मन मोह लिया था,उनका छोटे बड़ों के प्रति सम्मान, अपनानीयत और समर्पण मुझे बहुत अच्छा लगा। वैसे मेरी उनसे पहली मुलाकात 12 अगस्त 2023 को मेयर्स हाल अंधेरी में संपन्न "तिरंगा सम्मान कार्यक्रम" के अवसर पर हुई थी। 

मुंबई की जानी मानी शख्सियत डॉक्टर सुंदरी ठाकुर के विशेष आमंत्रण में मुंबई इस कार्यक्रम में पहुंचने पर मुझे पहली बार श्री रविन्द्र अरोरा के दर्शन का लाभ प्राप्त हुआ। अगले दिन 13अगस्त 2023 की हमारे संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स का वार्षिक अधिवेशन होटल ताज लैंडस एंड में था, देश भर से आए क्रांतिकारी पत्रकारों, साहित्यकारों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री की विशेष उपस्थिति और फिल्म जगत के लोगों की चकाचौंध के बीच वहां मौजूद था एक हेट वाला शख्स "रविन्द्र अरोरा।"

मुझे भली भांति याद है कि पत्रकार सम्मान समारोह में पुरस्कार वितरण के दौरान जब श्री रविन्द्र अरोरा ने मुझे परेशान होते देखा तो वह एक क्रांतिकारी जवान की भांति अपनी कुर्सी से उठे और मेरा हाथ बटाने लगे। मैंने उनसे कहा था आप परेशान मत होइए मैं देख लूंगा लेकिन वह नहीं माने।

श्री रविन्द्र अरोरा से मेरी तीसरी और आखिरी मुलाकात हमारे ही संगठन के राष्ट्रीय अधिवेशन में 14सितंबर 2024को मेयर्स हाल अंधेरी में हुई। अपने चिरपरिचित अंदाज में हेट लगाए और छड़ी लिए रविन्द्र अरोरा जी अतिथि दीर्घा में बैठे थे। कार्यक्रम की आपाधापी में मेरा ध्यान उन पर नहीं जा पाया। लेकिन जैसे ही मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ मैं तत्काल उनको मंच पर बुलाया और सार्वजनिक जीवन में एक संत के समान अपने सम्पूर्ण जीवन को समर्पित करने वाले उस महापुरुष को अपने हाथों सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके चेहरे पर मौजूद मंद मंद मुस्कान जीवन में एक नवीन आयाम का अनुभव महसूस कराती थी। हमेशा सहयोग और समर्पण के लिए तत्पर रहने वाली एक शख्सियत जिसमें अहंकार रत्ती भर नहीं था के दर्शन लाभ से में अभिभूत था।

12अगस्त 2023से उनके अंतिम समय तक मेरी उनसे कुल तीन मुलाकाते हुई लेकिन उनके साथ स्थापित संबंध वर्षों पुराने और आत्मीयता के थे। समय समय पर उनके संदेश मुझे प्राप्त होते थे।यहां तक की उनके द्वारा मुझे मेरी अनुपस्थिति के बावजूद KAF सम्मान से सम्मानित करना मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

16फरवरी 2025 को आयोजित होने वाले KAF सम्मान समारोह में शिरकत का आमंत्रण भी भेजा जो किन्हीं अपरिहार्य कारणों से भव्य रूप में संपन्न नहीं होने पर वह काफी उदास थे, लेकिन उन्होंने मुझे कहा कि दादा साहब फाल्के के जन्मदिन 30अप्रैल को भव्य कार्यक्रम आयोजित करेंगे जिसमें मुझे आने का न्यौता उनके द्वारा दिया गया।

 मुझे उन्होंने एक संदेश 22फरवरी को भेजा था  कि  उन्होंने वर्सोवा में एक ऑफिस लेने के लिए टोकन दिया है जो 15मार्च से आरम्भ होगा। दादा साहब फाल्के और उनकी पत्नी श्रीमती सरस्वती दादा साहब फाल्के के लिए समर्पित व्यक्तित्व श्री रविन्द्र अरोरा के ही प्रयास का नतीजा था कि दादा साहब फाल्के की पत्नी के नाम का हर वर्ष सम्मान समारोह आयोजित किया जाता था। श्री रविन्द्र अरोरा ने दादा साहब फाल्के की पत्नी के सहयोग  को समाज के सामने लाने का भी प्रयास किया जिसका नतीजा है कि श्रीमती सरस्वती बाई दादा साहब फाल्के पुरस्कार का उदय हुआ।

दुर्भाग्य का विषय है कि एक सप्ताह पूर्व अचानक मुझे ज्ञात हुआ कि श्री अरोरा एक हादसा का शिकार होकर सरकारी अस्पताल में बेसहारा होकर लावारिस हालत में पड़ें हैं कोई इलाज कोई देखभाल नहीं। संगठन की राष्ट्रीय संगठन महासचिव श्रीमती शशि दीप मुंबई ने मुझे यह जानकारी दी ओर उन्होंने खुद यह बीड़ा उठाया कि श्री रविन्द्र अरोरा को उचित उपचार ओर देखभाल सुनिश्चित हो। उनके अथक प्रयास का नतीजा रहा कि बेसहारा लावारिस हालत में अस्पताल में पड़े श्री रविन्द्र अरोरा के शुभ चिंतकों ने पूरी शिद्दत से उनका ख्याल करना आरंभ किया लेकिन परिजनों द्वारा परित्यक्त किए श्री अरोरा उचित उपचार ओर देखभाल के अभाव में अन्ततः 05मार्च 2025को हमको छोड़ कर चले गए। पीछे छोड़ गए सैकंडों सवाल। 

उनके अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान श्रीमती शशि दीप ने उनकी पत्नी से संपर्क किया था लेकिन उन्होंने अस्पताल आने ओर निधन की सूचना मिलने पर अंतिम संस्कार करने से इनकार तक किया था जो एक दुखदाई खबर थी। श्री रविन्द्र अरोरा के शुभ चिंतकों द्वारा 6मार्च को वर्सोवा श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने के बाद अचानक उनकी पत्नी और पुत्री सहित अन्य ने जो ड्रामा किया उससे एक नए अध्याय का ज्ञान हुआ। वर्षों से परित्यक्त किए श्री रविन्द्र अरोरा के अंतिम संस्कार से पूर्व नाटकीय घटनाक्रम के साथ उनके परिवार की उपस्थिति ने इस बात पर बल दिया कि जीते जी श्री रविन्द्र अरोरा की चिंता नहीं करने वाला परिवार उनके गुजर जाने के बाद उनकी संपत्ति, सामान और अन्य की लालसा लिए केवल इसलिए प्रकट हुए ताकि उनके जाने के बाद कोई ओर दावेदारी न सामने आए।

खैर यह उनका निजी विषय हैं लेकिन एक दिव्यात्मा का अंत इस तरह होगा इसकी कल्पना नहीं थी। मुझे श्री रविन्द्र अरोरा से जुड़े अधिक समय नहीं हुआ था लेकिन उनकी आत्मीयता ने मुझे ऐसा आभास दिखाया था जैसे मेरा उनका साथ कई जन्मों से था। उनकी आत्मीयता से पितातुल्य,मार्गदर्शक ओर एक अभिभावक की अनुभूति का अहसास होता था। मैं अपने संगठन प्रेस क्लब ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स पंजीकृत की ओर से श्री रविन्द्र अरोरा की स्मृति में हर वर्ष "रविन्द्र अरोरा स्मृति सम्मान" की घोषणा करता हूं जो राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रदान किया जाएगा ताकि रहती दुनिया तक उनकी याद को कायम रखा जाए
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