कवयित्री माधुरी राऊलकर की ‘फूलों की ग़ज़ल' काव्यकृति लोकार्पित
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नागपुर। नगर की सुपरिचित कवयित्री माधुरी राऊलकर की 'प्रक्षेप' प्रकाशन से प्रकाशित काव्यकृति 'फूलों की ग़ज़ल' का लोकार्पण विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभागृह में सम्पन्न हुआ। सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक, महाराष्ट्र डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय के हस्ते पुस्तक के लोकार्पण हुआ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष थे वरिष्ठ साहित्यकार एवम कवि डॉ. सागर खादीवाला और मुख्य अतिथि थे प्रसिध्द किडनी रोग तज्ञ डॉ. शिवनारायण आचार्य। सरस्वती वंदना श्रीमती मीरा जोगलेकर ने की। अतिथियों का स्वागत सुवास राऊलकर ने किया। इस अवसर पर माधुरी का शॉल, श्रीफल यह उनका २० वा काव्यसंग्रह है। और पुष्पगुच्छ देकर सत्कार किया गया।
माधुरी ने अपना मनोगत व्यक्त करते हुये किताब में से फूलों पर लिखे कुछ शेर प्रस्तुत किये। एक शेर प्रस्तुत करते हुये वह कहती है ‘हरतरफ फूल नजर आए, तो ग़ज़ल हो जाए वो अपनी खुशबू लुटाए, तो ग़ज़ल हो जाए। लोग मन्दिर, मस्जिद जाकर पूजा करें और, दिल से सारे भेद मिटाए, तो ग़ज़ल हो पाए’। ‘फूलों की गजल' इस काव्यकृति में फूलों पर लिखे ३०० शेर है।
डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय ने कहा कि इस 'फूलों की ग़ज़ल' में फूल, खुशबू, मौसम, कांटे, रिश्ते, जीवन, गम, खुशी, चुभन, चमन, गुलशन इन सब का जिक्र है, जो कि हर शेर दिल को छू लेता है। उन्होंने सलाह भी दी कि हमें प्लास्टिक के फूलों से दूर रहना चाहिये। डॉ. शिवनारायण आचार्य ने किताब में से कुछ शेर प्रस्तुत किये।
उन्होंने कहा कि एक ही विषय पर इतने सारे शेर लिखना आसान बात नहीं है। यह बात तारीफ के काबिल है।
डॉ. सागर खादीवाला ने कहा कि माधुरी की ग़ज़ले सीधी सादी और सरल होती है और ज़िन्दगी के हर पहलू का यथार्थ प्रस्तुत करती है। उनका सरलता से लिखने का लहजा आज भी वैसा है जैसा पहले था। भविष्य में भी ऐसे ही ग़ज़ले लिखने के लिए उन्होंने शुभकामनाएँ दी। संचालन पूनम तिवारी ने और आभार प्रदर्शन रूबी दास ने किया।
कार्यक्रम में श्री कृष्ण नागपाल मनीष सोनी, अनिल मालोकर, अविनाश बागडे, सतेन्द्र प्रसाद सिंह, नरेद्र परिहार, टीकाराम साहू, सुवास राऊलकर, अजय पांडे, संतोष पांडेय, डॉ. बालकृष्ण महाजन, कृष्णकुमार द्विवेदी, अरूण खरे, बॅनर्जी सर, प्रा. आनंद देशकर, सुरेन्द्र हरडे, भोला सरवर, विजय श्रीवास्तव, इन्दिरा किसलय, डॉ. प्रेमलता तिवारी, रंजना श्रीवास्तव, देवयानी बॅनर्जी, रूबी दास, नंदिता सोनी, मीरा जोगलेकर, नीलम शुक्ला, प्रभा मेहता, पूनम मिश्रा, संतोष बुधराजा, सुरेखा खरे, रेशम मदान, माया शर्मा, सुषमा भांगे इ. साहित्यकार उपस्थित थे।