ऋषिकेश वालझाडे अहिल्यानगर को खेल के क्षेत्र में वाचस्पति की मानद उपाधि
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राष्ट्रीय साहित्य एवं पुरातत्व का 23 वाँ महाभव्य अनुष्ठान पांच चरणों में सम्पन्न, साथ ही गंगोत्री और दृष्टि महा दृष्टि भी लोकार्पित हुई
नागपुर/बालाघाट। इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान तथा वीर अकादमी बालाघाट मध्यप्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में पुण्य सलिला वैनगंगा के तट पर बसा बालाघाट चर्चित नगर में जहाँ राष्ट्रीय साहित्य एवं पुरातत्व का 23 वाँ अनोखा महाभव्य अनुष्ठान दिनांक 23 फरवरी 2025 को सहयोगात्मक रुप से सादगी पूर्वक आयोजित हुआ।
उक्त अवसर पर 15 राज्यों से प्रतिष्ठित पुरातत्व विद्, इतिहास विद्, साहित्य विद्, समाज शास्त्री, अधिकारियों का आगमन विश्व की जानी-मानी हस्तियों का भव्यता के साथ हुआ।
प्रथम चरण प्रातः 11 प्रारंभ हुआ। जहाँ मृणाल मीणा कलेक्टर बतौर मुख्य अतिथि थे, जिन्हें राष्ट्रीय लक्ष्याधिपति वाचस्पति की मानद उपाधि (डॉक्टरेट अवार्ड), से अलंकृत किया गया, अध्यक्षता डॉ. रामविजय शर्मा, पुरातत्व विद् (बिहार) ने की, जिन्हें राष्ट्रीय पुरातत्व शिरोमणी मानद उपाधि, विशिष्ट अतिथियों में डॉ.दिव्या राहूल देढिया मुंबई (महाराष्ट्र) को कच्छ कढ़ाई कला के क्षेत्र में वाचस्पति की मानद उपाधि, डॉ. चन्द्रिका भूपेन्द्र व्यास मुंबई (महाराष्ट्र) और डॉ. कीर्ति वल्लभ शक्टा चम्पावत (उत्तराखंड) को साहित्य के क्षेत्र में वाचस्पति की उपाधि, ऋषिकेश संजय वालझाडे अहिल्यानगर (महाराष्ट्र) को खेल के क्षेत्र में वाचस्पति की मानद उपाधि, समीर सिंह गहरवार को राष्ट्रीय पुरातत्व शिरोमणी की मानद उपाधि (डी.लिट् अवार्ड), डॉ. संतोष कुमार सक्सेना को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक विद्श्री से अलंकृत किया गया,
डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार संग्रहाध्यक्ष इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान संग्रहालय बालाघाट, डॉ. कविता गहरवार प्रधान सम्पादक गंगोत्री वार्षिक गद्य और पद्य राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका (गहरवार दम्पति) को प्रेस क्लब चांपा (छत्तीसगढ़) के अध्यक्ष डॉ.कुलवंत सिंह सलूजा की ओर से राष्ट्रीय स्वाभिमान रत्न विद्श्री, कलेक्टर मृणाल मीणा के हस्ते अलंकृत किया गया, डॉ. सुभाषचंद्र गुप्ता और डॉ. कुलदीप बिल्थरे बालाघाट (मध्यप्रदेश) को राष्ट्रीय विशिष्ट पारस मणी विद्श्री से अलंकृत किया गया, जो मंचासिन भी थे। माँ सरस्वती का विधिवत पूजन, सरस्वती वंदना, स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। तदोपरान्त गंगोत्री वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया गया, जिसकी प्रधान सम्पादिका डॉ. कविता गहरवार थी, आचार्य डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार ‘वीर’ का व्यंग्य काव्य संग्रह दृष्टि महा दृष्टि तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं का भव्य विमोचन हुआ। पुरातत्व एवं साहित्य संगोष्ठी विषय में वर्तमान परिदृश्य में अपनी मातृभाषा एवं अन्य भाषाओं का योगदान? विषय विशेषज्ञ में धीरज कुमार आकाशवाणी केंद्र आदि ने विस्तृत जानकारी दी। मंच संचालन डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार ने किया।
द्वितीय चरण दोपहर 1 बजे नन्हें-मुन्नों का सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ, जिसमें आर्या,मन्नत का नृत्य सराहनीय रहा।
तृतीय चरण दोपहर 2 बजे से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा प्रारंभ हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. देवेन्द्र थापक भोपाल (मध्यप्रदेश) थे जिन्हें साहित्य वाचस्पति की मानद उपाधि, अध्यक्षता डॉ. कमलकिशोर शर्मा वर्धा (महाराष्ट्र) को राष्ट्रीय विशिष्ट पारस मणी विद्श्री, विशिष्ट अतिथियों में भारत सातपुते लातूर (महाराष्ट्र) को राष्ट्रीय पखर विद्श्री, डॉ.वीरेन्द्र कुमार टंडन कोरबा (छत्तीसगढ़) को राष्ट्रीय समाजिक चेतना,सांस्कृतिक के क्षेत्र में विद्यासागर की मानद उपाधि, डॉ. गणेश तुकाराम पुंडे पूना (महाराष्ट्र) को राष्ट्रीय साहित्य के क्षेत्र में विद्यासागर की मानद उपाधि, श्रीमती उषा टंडन कोरबा (छत्तीसगढ़) को राष्ट्रीय शिक्षा के क्षेत्र में वाचस्पति की मानद उपाधि,
श्रीमती प्रेमलता गुप्ता बालाघाट (मध्यप्रदेश) को राष्ट्रीय साहित्य के क्षेत्र में वाचस्पति की मानद उपाधि, दीलिप यादव उगली (मध्यप्रदेश) को राष्ट्रीय पखर विद्श्री, पृथ्वीराज पड़वार ‘अकेला’, बाबूलाल गोमासे, मिश्रीलाल साहू, सचिन सिंह गहरवार, श्याम सिंह ठाकुर, मनोहर कसार, सतीश भारद्वाज, समीर सिंह ठाकुर, श्रीमती संजुषा यादव को राष्ट्रीय स्वर्णिम रत्न विद्श्री से अलंकृत किया गया जो मंचासिन थे। मंच संचालन भारत सातपुते ने किया। जहाँ राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय एवं स्थानीय कवियों द्वारा विभिन्न छंदों पर स्वर रचनाएँ प्रस्तुत कर रसास्वादन किया।
चतुर्थ चरण सायं काल 4 बजे से हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि दिनेश चंद्र प्रसाद ‘दीनेश’, कलकत्ता (पं.बंगाल) थे, जिन्हें राष्ट्रीय विशिष्ट पारस मणी विद्श्री, अध्यक्षता डॉ. रमेश कुमार रंगलानी ने की जिन्हें राष्ट्रीय शिखर विद्श्री, विशिष्ट अतिथि में श्रीमती शीला सिंह, राजेन्द्र कुमार शिवहरे, राजेन्द्र कुमार ब्रम्हे, महंतराव अगासे को राष्ट्रीय पखर विद्श्री, राजेश कुमार ब्रम्हे को राष्ट्रीय साहित्य शिखर विद्श्री से अलंकृत किया गया, जो मंचासिन भी थे।
इसके अतिरिक्त शोधार्थियों महाविद्यालय छात्र/छात्राओं को भी प्रशस्ति-पत्र, विराट अभिनन्दन समारोह में वाचस्पति की मानद उपाधि, विद्या सागर की मानद उपाधि,राष्ट्रीय लक्ष्याधिपति विद्श्री, राष्ट्रीय पुरातत्व शिरोमणि विद्श्री, राष्ट्रीय स्वाभिमान विद्श्री, राष्ट्रीय पुरातत्व विद्श्री, राष्ट्रीय स्वर्णिम रत्न विद्श्री, राष्ट्रीय सारस्वत विद्श्री आदि 15 राज्यों से पधारे 251 प्रतिष्ठित विद्वानों का पोशाक (गाऊन), शाल-श्रीफल, अभिनन्दन पत्र, प्रतीक चिन्हों से स्व. अमीचंद अग्रवाल स्मृति में दिया गया। जो रात्रि 9 बजे तक चला। अंत में दिवंगत साहित्य विद् के जीवन प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए आभार प्रदर्शन आचार्य डॉ. वीरेन्द्र सिंह गहरवार ‘वीर’ ने किया
एक दिवसीय आयोजित विराट समारोह को सफल बनाने में बाबूलाल गोमासे, सचिन सिंह गहरवार, शीला सिंह, श्वेता गहरवार, आंचल गहरवार, मिश्रीलाल साहू, हर्ष सिंह बैस, राजेंद्र कुमार ब्रम्हे, ममता गहरवार,संजुषा यादव, रमेश राठी, राजेंद्र शिवहरे, उदेलाल नागेश्वर आदि का योगदान सराहनीय रहा।