मन को आल्हादित करनेवाला उत्सव है बसंत पंचमी : चित्रा जोशी
https://www.zeromilepress.com/2025/02/blog-post_4.html
नागपुर। सरस्वती विद्या, कला व ज्ञान की देवी है। मां की वीणा से सृष्टि में स्वर, चेतना और विवेक का संचार हुआ। काव्य, नाट्य, संगीत और साहित्य में जो रस है वह सरस्वती के आशीर्वाद से उद्भूत है। वास्तव में बसंत पंचमी मानव मन को आल्हादित करनेवाला उत्सव है। यह विचार राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सहकार्यवाहिका सुश्री चित्रा जोशी ने व्यक्त किए। वे राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में आयोजित वसंत पंचमी और सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जयंती कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि निराला सरस्वती का वरदान लेकर आए थे। वे हिन्दी साहित्य के ऐसे नक्षत्र थे जिन्होंने आजीवन तपकर साहित्य साधना की। निराला सरस्वती के अनन्य साधक थे।
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने महाप्राण निराला की साहित्य साधना पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि पराधीन भारत में शक्ति का संचार करने के लिए उन्होंने 'राम की शक्तिपूजा' जैसी अद्भुत कविता लिखी। कुकुरमुत्ता , चतुरी चमार, भिक्षुक जैसी कविताएं निराला की सामाजिक दृष्टि को रेखांकित करती हैं। वे छायावाद के अकेले रचनाकार थे जिन्होंने सामाजिक यथार्थ पर सर्वाधिक चिंतन किया।उनका विपुल साहित्य इसका प्रमाण है।
आभार व्यक्त करते हुए डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि निराला के व्यक्तित्व और कृतित्व में एकरूपता थी, इसीलिए साहित्य जगत में उन्हें महाप्राण की संज्ञा दी गई है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी ने किया। इस दौरान डॉ . सुमित सिंह, आकृति पाण्डेय, प्रा. दामोदर द्विवेदी, लतिका खरवड़े, आशीष उपाध्याय तथा डॉली पाण्डेय ने निराला रचित कविता का पाठ किया। इस अवसर पर समाज सेविका सुश्री करुणा साठे, मृणाल पांछे, प्रा. जागृति सिंह, ज्ञानेश्वर भेजकर, एकादशी, कुंजनलाल लिल्हारे, गुंजन चंदेल सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे।