अभिनंदन मंच ने मनाया वसंतोत्सव
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भजनों के रस में डूबे श्रोता
नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम अभिनंदन मंच ज्येष्ठ नागरिकों का सम्मान के अंतर्गत ‘बसंतोत्सव’ मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ज्योतिषाचार्य डॉ. सुन्दर शर्मा ने की। अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने वसंतोत्सव का महत्व और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। विशेष अतिथि द्विवेश शुक्ला मंचसीन रहे। अतिथियों का स्वागत साहित्यिकी के संयोजक विनोद नायक ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन से हुआ। 25 भजनकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डा. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया। आभार विनोद नायक ने माना।
सर्वप्रथम किरन पाण्डेय, माया पांडेय, सिमरन पांडेय ने भजन प्रस्तुति दी। राहुल मस्कोल्हे ने ढोलक पर संगत दी। लक्ष्मी वर्मा के नृत्य ने खूब तालियां बटोरी। शंकर मेश्राम ने मराठी भावगीत, बलदेव जुनेजा ने साँचों तेरो नाम, शरद त्रिवेदी ने मेरे कन्हैया, तू किसको कहेगा तू मैया, नवीन त्रिवेदी ने चलो बुलावा आया है, नीरज व्यास ने सूरज की गर्मी से, ओमप्रकाश कहाते ने राम का नाम बनाए सबके बिगड़े काम, अल्पा तलाविया ने बड़ा नटखट है रे कृष्ण कन्हैया, उषा गायकवाड़ ने यशोमती मैया से बोले नंदलाला, विनायक चिंचोलकर ने तू प्यार का सागर है, जितेन्द्र जैन ने मानव का तन ये अनमोल जीवन, पुष्पा मानकर ने कान्हा आन पड़ी तेरे द्वार, सतीश गजभिए ने सुख के सब साथी दुःख न कोई,
माया शर्मा ने परमेश्वर के गुण गाने से, सुरेश गुंडे ने राम नाम अति मीठा है, संध्या माहुले ने अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, सुमेध हुमणे ने मराठी भजन, दिप्ती पंड्या ने तेरा दर न मिला, किशोरी गणवीर व तन्हा नागपुरी ने शाहिर लुधियानवी का गीत प्रस्तुत किया। प्रथम पुरस्कार ओमप्रकाश कहाते, द्वितीय पुरस्कार सुरेश धुंडे, तृतीय पुरस्कार अल्पा तलाबिया को प्रदान किया गया। जितेंद्र जैन को विशेष सहयोग हेतु सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सुजाता दुबे, राजेश, नितिन पाटील, रमेश मौंदेकर, सुभाष उपाध्याय, दिनेश बागड़ी, सुरेन्द्र हरड़े, समीरा खां पठान आजमखान, प्रफुल्ल हजारे व विजय वाघमारे की उपस्थिति रही.