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महाकुंभ 2025 : भाजपा के लिए संजीवनी, विपक्ष के लिए नई चुनौती


महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना बन गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसे हिंदुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जोड़कर एक बड़े चुनावी अभियान में बदलने की तैयारी कर रही है। उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली और अन्य राज्यों तक इस आयोजन का राजनीतिक प्रभाव देखने को मिला, जिससे विपक्षी दलों की चिंता बढ़ गई है।

महाकुंभ और हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां 50 करोड़ श्रद्धालु अब तक स्नान कर चुके है। यह आंकड़ा अभी बढ़ भी सकता है। इसमें सिर्फ हिन्दू ही दिखाई दे रहे है। कोई जाती, धर्म, उच्च, नीच, अमीर - गरीब का भाव नज़र नहीं आ रहा है। इसी जाती विहीन जमाव से विपक्षी खेमे में चिंता बढ़भगाई हैं भाजपा इसे एक अवसर के रूप में देख रही है और इस आयोजन को भव्य और ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद यह दूसरा बड़ा मौका है, जिससे भाजपा अपने हिंदू समर्थकों को एकजुट करने में कामयाब हुई है।

महाकुंभ के जरिए भाजपा ने हिंदू अस्मिता और धार्मिक चेतना को मजबूत किया है। इसमें संघ परिवार की विभिन्न शाखाएं, धार्मिक संगठनों के संत-महंत, और हिंदुत्ववादी संगठनों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। भाजपा का संदेश स्पष्ट है – वह इस आयोजन को न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक बनाना चाहती है, जिससे वह हिंदू वोट बैंक को और मजबूत कर सके।

क्षेत्रीय दलों की बढ़ी चिंता

महाकुंभ के जरिए भाजपा उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में हिंदू वोटों को लामबंद करने की कोशिश कर रही है। इससे सपा, बसपा, राजद, जदयू, शिवसेना (उद्धव गुट), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे क्षेत्रीय दलों की चिंता बढ़ गई है। दिल्ली के बाद पंजाब में भी आप पार्टी में हलचल तेज हो गई है। बंगाल में तो अगले साल चुनाव होने है। उस पर भी कुंभ का असर दिखेगा।

उत्तर प्रदेश में 2027 में चुनाव होने है। सपा और बसपा की राजनीति पर महाकुंभ का सीधा असर पड़ेगा। भाजपा इस आयोजन के जरिए यूपी के हिंदू वोटों को पूरी तरह अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है।
बिहार में भाजपा का प्रयास रहेगा कि महाकुंभ के बहाने राज्य में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो, जिससे महागठबंधन (राजद-कांग्रेस) को नुकसान हो।
महाराष्ट्र में भाजपा और शिंदे गुट की शिवसेना मिलकर इसे हिंदुत्व की राजनीति को और तेज करने के अवसर के रूप में देख रही हैं, जिससे महा विकास अघाड़ी को नुकसान होगा।
दिल्ली में भाजपा ने इस आयोजन के जरिए उत्तर भारतीय, जाट व  हरियाणा के मतदाताओं को साधने का प्रयास किया, जिससे दिल्ली में आप और कांग्रेस को झटका लगा। 

भाजपा की रणनीति

सरकारी सहयोग से उत्तर प्रदेश सरकार महाकुंभ को दुनिया का सबसे भव्य आयोजन बनाने में सफल हुई हैं। जिसका भाजपा को राजनीतिक लाभ मिलेगा।

सोशल मीडिया अभियान : महाकुंभ की भव्यता और हिंदू एकजुटता को डिजिटल माध्यमों से प्रचारित किया गया।

धार्मिक नेताओं की भागीदारी : संत-महंत और हिंदू संगठनों के प्रमुख नेता भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करेंगे।

विपक्षी दलों पर वैचारिक दबाव : विपक्ष को धर्मनिरपेक्षता बनाम हिंदुत्व की बहस में उलझाने की रणनीति अपनाई जाएगी

महाकुंभ 2025 भाजपा के लिए एक सुनहरा अवसर बनता दिखाई दे रहा हैं। जिससे वह हिंदू वोटों का एकीकरण कर अपने राजनीतिक आधार को और मजबूत कर रही है। वहीं, क्षेत्रीय दलों के लिए यह एक नई चुनौती साबित हो सकता है, क्योंकि वे पहले से ही अपने पारंपरिक वोट बैंक को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर पूरे देश में इस आयोजन का असर देखने को मिलेगा, जिससे आगामी चुनावों की सियासी दिशा बदल सकती है।


- डॉ. प्रवीण डबली
   वरिष्ठ पत्रकार 
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