गांधी’ अमर हैं..
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व्यक्ति शरीर त्याग सकता है, एक गोली उसका अंत कर सकती है, लेकिन उसके विचार अमर रहते हैं। विचारों की यही ताकत आने वाली पीढ़ियों को समाज की सच्चाई को समझने और बदलाव लाने की प्रेरणा देती है।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में कहा था, ‘भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर यकीन करना कठिन होगा कि हाड़-मांस से बना ऐसा व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।’ यह कथन आज की पीढ़ी के लिए बेहद प्रासंगिक है। गांधी जी के आदर्श - अहिंसा, सत्य और सेवा की भावना सिर्फ - इतिहास के पन्नों तक सीमित नहीं हैं। ये आज भी समाज के नैतिक पतन को रोकने और एकता, समानता व सद्भाव की नींव को मजबूत करने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
आज का समाज स्वार्थ और प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में शामिल हो चुका है। राजनीति में नेतृत्व की कला की जगह लालच और सत्ता की भूख ने ले ली है। ऐसे में गांधी जी के विचार एक नई दिशा दिखा सकते हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सच्ची शक्ति सेवा, सादगी और सत्य के प्रति समर्पण में निहित है। गांधी जैसे महापुरुष केवल व्यक्ति नहीं होते, बल्कि वे एक विचारधारा होते हैं। उनकी सोच पीढ़ी दर पीढ़ी समाज को सशक्त बनाते हुए उसे मानवता और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। कवि सुमित्रानंदन पंत की यह पंक्तियाँ गांधी जी की महिमा को सटीक अभिव्यक्ति देती हैं:
“तुम मांस-हीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन, तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुराण, हे चिर नवीन!”
गांधी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार, एक सोच और परिवर्तन का प्रतीक हैं। देश की आजादी में योगदान पर बहस हो सकती है, लेकिन जब बात उस शख्स की आती है जिसने भारत को एकजुट किया, तो वह नाम महात्मा गांधी का ही होगा। गांधी को समझने के लिए केवल उन्हें पढ़ना पर्याप्त नहीं है। जब आप गांधी को पढ़ते हैं, तो आप मोहनदास को जानते हैं। लेकिन जब आप उन पर लिखे गए साहित्य को पढ़ते हैं, तो आपको वास्तविक गांधी की पहचान होती है। गांधी जी केवल कहने में नहीं, बल्कि करके दिखाने में विश्वास रखते थे। स्वच्छता, सत्य और अहिंसा जैसे मुद्दों पर उन्होंने पहले खुद अमल किया और फिर इसे समाज के सामने उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया। उनके नेतृत्व की यह खासियत थी कि वे अपने सहयोगियों को सम्मान और प्रोत्साहन देना कभी नहीं भूलते थे।
आज के राजनीतिक परिदृश्य में भी गांधी जी के विचारों की गूंज सुनाई देती है। घोर राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने वक्तव्यों में गांधी जी की प्रशंसा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान को गांधी जी के आदर्शों से जोड़कर उनकी अहमियत को फिर से रेखांकित किया है। 2 अक्टूबर हो या 30 जनवरी, इन दिनों के आते ही गांधी जी की कई छवियाँ मन में उभरती हैं—नोटों पर उनकी तस्वीर, मूर्तियाँ, विचारों की गूंज और पाठ्यपुस्तकों में उनके अध्याय। लेकिन क्या इन सबके माध्यम से हम वास्तविक गांधी को समझ पाते हैं? यह सवाल हर उस भारतीय के लिए है, जो आज एक स्वतंत्र भारत में जी रहा है।
आज, जब पूरी दुनिया युद्ध और आंतरिक संघर्षों की आग में झुलस रही है, गांधी जी के विचार हमें शांति और एकता का मार्ग दिखाते हैं। उनका जीवन आज भी मानवता के लिए एक अमूल्य प्रेरणा बना हुआ है। गांधी नहीं मरा करते, क्योंकि विचार कभी मरते नहीं।
अबु धाबी, यूएई