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छत्तीसगढ़ मिलन संगम का प्रांत है : प्रो. अनुसुइया अग्रवाल


नागपुर/रायपुर। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज,छत्तीसगढ़ इकाई के द्वारा आभासी संगोष्ठी आयोजित की गई जिसका विषय "छत्तीसगढ़ का उत्सव, पर्व और त्यौहार" था। अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य, प्रो. डॉ. अनुसुईया अग्रवाल, डी लिट्, स्वामी आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय महासमुदं छत्तीसगढ़ ने कहां कि छत्तीसगढ़ मिलन संगम का प्रांत है।

यहां के पर्वोत्सव युगो से राष्ट्रीय एकता के जीवंत प्रतीक रहे हैं। छत्तीसगढ़ को ऊर्जा शक्ति के आराधक प्रदेश के रूप में जाना जाता है यहां के जनमानस का प्रकृति से सीधा संबंध है इसलिए यहां सूर्य, सागर, अग्नि, नदिया, पर्वत ये सब संस्कृति के अभिन्न अंग होकर समन्वित जीवन के गंतव्य बनकर आस्था के केंद्र बनते हैं। यहां अनेक जाति- समुदाय, नाना भांति के वेशभूषा, रीति रिवाज भाषा- बोली, पूजा- पद्धतियों में विभक्त होते हुए भी लोग स्वभाव से अथवा आत्मचेता प्रकृति से एक होने का अनुभव करते हैं। 

यहां के पर्व उत्सव किसी सीमा से नहीं बंधे हैं; राष्ट्र के विकास में उनकी सामाजिक मूल्यवता बनी हुई है। जन-जन इन पर्व उत्सवों के बहाने संजीवनी प्राप्त करता है; पुनः जीवन जीने के लिए। अतिथि वक्तव्य डॉ.विजयालक्ष्मी रामटेक, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज के अध्यक्ष ने कहा कि छत्तीसगढ़ का उत्सव पर्व त्यौहार पूरी छत्तीसगढ़ में बहुत ही रोचक ढंग से मनाया जाता है। जिसमें बस्तर  के दशहरा जो लगातार 78 दिनों तक चलता है। जिसका विशेष महत्व है।

वक्ता डॉ. चंद्रशेखर सिंह, विभागाध्यक्ष,हिंदी विभाग ,मुंगेली बिलासपुर में कहां कि गांव है तो उत्सव है त्यौहार का मतलब गांव है और पर्व का मतलब भी गांव है गांव है तो उत्सव है पर्व है। फसल लहराना किसानों के लिए उत्सव है छत्तीसगढ़ के लिए वरदान है उत्सव। छत्तीसगढ़ में सभी त्योहारों का अपना महत्व है जैसे राजीम कुंभ प्रयागराज के नाम से जानते हैं ।बस्तर का दशहरा, मेला ,मंडई, भोजली पर्व के बारे में बताया। संचालक एवं संयोजक डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक ने संचालन करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में बहुत से त्योहार पर्व,उत्सव मनाएं जाते हैं जैसे छेरछेरा पुन्नी, हरेली, भोजली पर्व। 

कार्यक्रम का प्रारंभ लक्ष्मीकांत वैष्णव के सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत उद्बोधन डॉ. सरस्वती वर्मा के द्वारा किया गया। आभार सुश्री नम्रता धुर्वे के द्वारा किया गया। इस आभासी पटल पर सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी की विशेष उपस्थित रही, साथ ही मनीषा सिंह मुंबई, डॉ. पूर्णिमा झेडे महाराष्ट्र, जानकी साव, अवंतिका शर्मा सहित अनेक साहित्यकार और कवित्रियां उपस्थित रहे।
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