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सांस्कृतिक सौहार्द का आधार है साहित्य - नीरज व्यास


हिन्दी विभाग में विश्व हिंदी दिवस पर बही काव्य सरिता 

नागपुर। विश्व हिंदी दिवस उपलक्ष्य में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से शुक्रवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवियों ने जहां विश्व में हिंदी के बढ़ते गौरव को रेखांकित किया, वहीं समाज - व्यवस्था की विडंबनाओं पर प्रहार किया और नारी की पीड़ा को भी स्वर दिया। विजय शर्मा ने अपनी रचना में सुनने, गुनने और बुनने को जीवन का मंत्र बताया। नीरज व्यास ने जीवन का व्याकरण समझाया। डॉ. लोकेंद्र सिंह ने अपनी प्रतीकात्मक शैली में खूब हंसाया। लोकनाथ यशवंत और अविनाश बागडे जीवन के फ़लसफ़े को स्वर दिया।


वरिष्ठ कवि श्रीपाद भालचंद्र जोशी, डॉ लोकेन्द्र सिंह, डॉ राजेन्द्र पटोरिया, डॉ. नीरज व्यास, सत्येन्द्र प्रसाद सिंह, लोकनाथ यशवंत, अविनाश बागड़े, नरेंद्र परिहार, डॉ. विजय शर्मा, डॉ.मधुलता व्यास, डॉ. प्रवीण जोशी, संतोष पाण्डेय 'बादल', डॉ. सुमित सिंह, डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, श्रीकांत राय, अजय पांडे, विनय उपाध्याय आदि ने अपनी रचनाओं से समां बांधा। टीकाराम साहू 'आजाद' तथा अनिल त्रिपाठी ने व्यंग्य पाठ किया। संचालन अनिल मालोकर ने किया।

अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने विश्व में हिंदी की बढ़ती स्वीकार्यता, दशा-दिशा पर प्रकाश डालते हुए उज्ज्वल भविष्य के प्रति आशा व्यक्त की। काव्य गोष्ठी के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कविता संवेदना की उपज है।  सामाजिक -सांस्कृतिक सौहार्द के लिए इसका सामाजिक जीवन में निरंतर प्रसार आवश्यक है। इस अवसर पर संतोष गिरहे, डॉ एकादशी जैतवार, प्रा. जागृति सिंह, इंद्रमन निषाद सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे।
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