जिंदगी के ये दिन वापस नहीं आएंगे - सचिन कुमावत
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नेहरू विद्यालय और कनिष्ठ महाविद्यालय में विदाई समारोह
नागपुर। आज आप विद्यार्थी अपने जीवन के जिस मोड़ पर खड़े हैं, वह जीवन का सबसे उपयोगी और खूबसूरत समय है। ये दिन फिर कभी वापस नहीं आएंगे। इसलिए भविष्य में करियर का चुनाव करते समय अपनी क्षमता और चुने गए करियर की उपयुक्तता की जांच करें। अपनी बुद्धिमत्ता का सही उपयोग करके निर्णय लें। आने वाली जिम्मेदारियों को खुशी-खुशी स्वीकार करें और जीवन को सुखद बनाने के लिए नशों से दूर रहें। ये बातें हिंगणा के तहसीलदार श्री सचिन कुमावत ने नेहरू विद्यालय और कनिष्ठ महाविद्यालय के दसवीं और बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों की विदाई समारोह में कही।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य के पूर्व मंत्री और संस्था के अध्यक्ष श्री रमेशचंद्र बंग ने की। मुख्य वक्ता के रूप में हिंगणा तहसील के तहसीलदार श्री सचिन कुमावत उपस्थित थे। मार्गदर्शन के लिए सुप्रसिद्ध लेखिका और कुसुमाई प्रकाशन की डॉक्टर मंजुषा सावरकर मौजूद थीं। प्रमुख अतिथि के रूप में जिला परिषद के पूर्व सदस्य दिनेश बंग, संस्था के कोषाध्यक्ष महेश बंग, सर्वोदय शिक्षण संस्था के अध्यक्ष संजय पालीवाल, संत गमाजी महाराज शिक्षण संस्था की उपाध्यक्ष अरुणा बंग और प्राचार्य नितीन तुपेकर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉक्टर मंजुषा सावरकर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से ही असली पहचान उभरती है। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी समाज को आगे ले जाते हैं। आज के विद्यार्थियों को व्यक्त करना सीखना चाहिए। जब आप अपनी बात व्यक्त करना शुरू करेंगे, तभी अपनी योग्यता साबित कर पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे आप भविष्य में कितनी भी बड़ी डिग्रियां क्यों न लें, अपनी मातृभाषा, मराठी, को कभी नहीं भूलना चाहिए। आपका सर्वांगीण विकास और व्यक्तित्व का निर्माण आपकी भाषा से ही होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व मंत्री रमेशचंद्र बंग ने अपने संबोधन में कहा कि आज का विद्यार्थी कल का सजग नागरिक बनकर समाज में योगदान देगा, तभी शिक्षा का सही उपयोग होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से समाजोन्मुखी बनने की अपेक्षा करते हुए उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर बारहवीं और दसवीं के विद्यार्थियों ने विद्यालय के प्रति अपने भाव और संबंध व्यक्त किए। नौवीं और ग्यारहवीं के विद्यार्थियों ने अपने सीनियर छात्रों को स्नेहपूर्वक विदाई दी।
कार्यक्रम का प्रस्ताविक भाषण प्रधानाध्यापक शशिकांत मोहिते ने किया। संचालन आनंद महाले ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अमोल हिरडकर ने किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों ने अथक परिश्रम किया।