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शोध की बुनियाद है सामाजिक जागरूकता - शामराव कोरेटी


नागपुर। शोध के बिना किसी भी समस्या का समाधान संभव नहीं होता। समस्या के समाधान की अनिवार्य आवश्यकता है शोध। शोध के केंद्र में सामाजिक जागरूकता और युगीन अपेक्षा होती है। यह बात राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय के अधिष्ठाता प्रो. शामराव कोरोटी ने कही। वे हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘शोध कार्यशाला’ के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. कोरोटी ने कहा कि शोध प्रासंगिक होना चाहिए। अच्छे अनुसंधान में नवीन सोच एवं दृष्टिकोण का समावेश आवश्यक होता है। 


प्रास्ताविक रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनुसंधान पर बहुत बल दिया गया है। शिक्षा नीति में विद्यार्थियों में शोध वृत्ति को बढ़ावा देने और शोध के प्रति रुचि जागृत करने की संकल्पना व्यक्त की गई है जिससे उनमें तार्किक और विश्लेषणात्मक विवेक विकसित हो। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि डॉ.मिथिलेश अवस्थी ने ‘शोध : क्यों और कैसे?’ विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों और संवेदना के क्षरण के इस दौर में साहित्यिक शोध की विशेष आवश्यकता है। कार्यशाला के दूसरे सत्र में ‘विषय का चयन कैसे करें?’ विषय पर डॉ.सुमित सिंह ने मार्गदर्शन किया। संचालन विभाग के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे और विद्यार्थी प्रेरणा पारसे ने किया तथा आभार गुंजन चंदेल एवं मिनी पाण्डेय ने व्यक्त किया। कार्यशाला में विभाग और विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थी एवं शोधार्थी भाग ले रहे हैं।
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