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उड़ान महिला चेतना मंच में खुला मंच का आयोजन किया


नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन का उपक्रम उड़ान महिला चेतना मंच के अंतर्गत सत्र -१ में खुला मंच का आयोजन किया गया। जिसका विषय था 'क्या गृहिणी शब्द का उच्चारण दबे स्वर होना चाहिए? संयोजिका पूनम हिंदुस्तानी ने स्वागत वक्तव्य देते हुए अपना मंतव्य रखा "गृहणी का कार्य पूर्णरूपेण नि: स्वार्थ होता है और नि: स्वार्थ कार्य सदैव वंदनीय होता है। चौबीस घंटे, जीवनपर्यंत, निशुल्क, बिना अवकाश सेवा, संपूर्ण धरा पर सिर्फ और सिर्फ गृहणी ही कर सकती है इसलिए जिम्मेदार गृहणी का परिचय सदैव गौरवपूर्ण तरीके से ही होना चाहिए। 


साहित्यकारा हेमलता मिश्र मानवी, गज़लकारा माधुरी राऊरकर, पुष्पा पांडे, रश्मी मिश्रा, मंदा बागड़े, किरण हटवार, जिगीशा शाह, भाग्यश्री फूले, मनीषा पखाले, डॉ शुभांगी वाघ, शिवानी सिंह ने अपना मंतव्य रखते हुए आज के समय में गृहिणी को दबे स्वर में प्रस्तुत करने के चलन का विरोध किया तथा अपना मंतव्य रखा।
द्वितीय सत्र में कार्यशाला ‘जानिए सफ़ल होने का रहस्य' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ के पूर्व चार साहिबजादे, माता गुजरी देवी,शहीद उधम सिंह तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।


मुख्य अतिथि के तौर पर मार्गदर्शन प्रदान किया सुप्रसिद्ध  प्रेरक वक्ता वैशाली कोढ़े ने तथा स्मरण शक्ति की उनकी अद्भुत प्रस्तुति से सदस्य सखियां अचंभित रह गयी। सह-संयोजिका शशि तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन किया। सह-संयोजिका नीता सारडा ने आभार व्यक्त किया। टीम उड़ान से संगीता पांडे ने मुख्य अतिथि का परिचय प्रस्तुत दी। टीम उड़ान से कवयित्री रूबी दास तथा सुनीता अनेजा तथा डॉ अपर्णा झा, सोमा सेनगुप्ता ने सफलतार्थ सहयोग प्रदान किया। 
पूर्व संयोजिका रूपा चांडक, सुप्रिया मसराम, माया शर्मा, छोबी चुकरबुत्ती, रेशम मदान, अर्चना चौरसिया, काज़ल रॉबिन, डॉ भाग्यश्री गुप्ता की विशेष रूप से उपस्थित रही।
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