संगीतकार दिलीप सेन ने बताए अपने अनुभव
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‘दिल की कलम से...’लाईव्ह कॉन्सर्ट
नागपुर। स्पर्श मनोरंजनद्वारा शनिवार को आयोजित ‘दिल की कलम से..’ लाईव्ह कॉन्सर्ट विथ दिलीप सेन इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध संगीतकार दिलीप सेन ने श्रोताओं को अपने सांगेतिक अनुभव बताए. गायक कलाकारोंने दिलीप सेन-समीर सेन इस जोडी ने संगीतबद्ध किए गीत प्रस्तुत करके श्रोताओं को रिझाया.
भट सभागृह में हुए इस कार्यक्रम में श्रोताओं से संवाद करते हुए उन्होने बताया, ढोलक, मटका आणि डफ इन वाद्यों का संगीत में उपयोग सबसे पहले उनके पिताश्रीने शुरू किया. उनकी तीन पढीया आज भी संगीत क्षेत्र में काम कर रही है. दीदी को हम सरस्वती माँ बोलते है. मै संगीतकार बना तो मेरी ख्वाईश थी की मै लताजी के साथ फोटो खिचवाऊ. लता दीदी का एक किस्सा उन्होंने सुनाया.
दीदी ने एक ही म्युझिक डायरेक्टर की, एकही फिल्म में, एकही थिएटर में, एकही रेकॉर्डिंग रूम में, एकही प्रॉडक्शन के चार गाने एकसाथ नही गाए थे. ये मेरी पहिली फिल्म थी ‘ये दिल्लगी’. इसमें दीदीने ने रेकॉर्ड किया. ‘गोरी कलाई कलाई ने लिया तेरा नाम’, ‘लगी लगी ये दिल की लगी’, ‘नाम क्या है प्यार का मारा’, ‘होंठों पे बस तेरा नाम है’ इसतरहा पुरे विश्व में जिसे सरस्वती का रूप कहते है उन्होंने एक दिन में चार गाने गाए.
कार्यक्रम में गोल्डी हुमणे, स्वस्तिका ठाकूर, मंगू कलसंगे, सानिका बोभाटे, प्रशांत भिंगारे, ईश्वरी पांडे, राजू व्यास, धीरज शुक्ला, सुनील आर गजभिये, प्रशांत गडेकर आदी गायक कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किए. उनको संजय बारापात्रे, राजू गजभिये, मंगेश पटले, प्रशांत खडसे, नंदू गोहाणे, दीपक कांबळे, प्रवीण लिहितकर, नितीन अहिरे, तुषार विघ्ने, निलेश अन वादकोंने अच्छी संगत की. कार्यक्रम की संकल्पना सुनील आर गजभिये की थी.कार्यक्रम का संचालन ज्योति भगतने ने किया. साऊंड पी.बी. साऊंड, लाईट्स मायकल, स्टेज राजेश अमीन, स्क्रीन सोनू ने संभाली.