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भव्य दिव्य रहा अग्रवाल समाज का महालक्ष्मी महायज्ञ


पं. विजयशंकर मेहता ने किया महाराजा अग्रसेन- महालक्ष्मी की कथा का सारगर्भित वर्णन  

नागपुर। पांच हजार वर्ष पूर्व अग्र कुलपिता, अग्रोहा गणराज्य के संस्थापक महाराजा अग्रसेन जी ने अपनी प्रजा के कल्याण के लिये ऐश्वर्य एवं सुख-समृद्धि दात्री देवी महालक्ष्मी की कठोर तपस्या, आराधना करके उनसे समृद्धि का वरदान प्राप्त किया था. यह वरदान आज भी अग्रसेनजी के वंशज अग्रवाल समाज पर फलिभूत है. अग्रेश्वरी महालक्ष्मी जी के वरदान आशीर्वाद के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिये नगर में श्री अग्रसेन मंडल के तत्वावधान में रविवार १५ दिसंबर को महालक्ष्मी वरदान दिवस पर रविनगर के श्री अग्रसेन भवन में महालक्ष्मीजी की भव्य-दिव्य झांकी, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महालक्ष्मी की अष्टधातु की प्रतिमाओं का पंचद्रव्य अभिषेक, पवित्र आहुतियों का २१ कुंडीय महायज्ञ, छप्पन भोग और प्रसाद भोज का आयोजन सम्पूर्ण आस्था, भक्ति एवं हर्षोल्लास के साथ भव्य रूप से सम्पन्न हुआ. २१ कुंडीय महायज्ञ में २१ अग्र-दम्पत्तियों ने सैकड़ों अग्रजनों के साथ के परिवार एवं समाज की सुख, शांति, समृद्धि एवं विश्व कल्याण की कामनायें करते हुये महालक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया. पवित्र अनुष्ठान के लिये अग्रसेन भवन परिसर को ‘अग्रोहा धाम’ की भांति सजाया गया था.


इस अवसर पर विशेष अतिथि वक्ता के रूप में पधारे पं. विजयशंकर जी मेहता ने सुशोभित व्यासपीठ से महाराजा अग्रसेन और महालक्ष्मी की कथा का सारगर्भित वर्णन किया. महाभारत काल में जन्मे और अपनी आराधना - तपस्या से देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करके, उनकी महाकृपा से अग्रोहा को वैभवशाली राज्य बनानेवाले महाराजा अग्रसेन की चारित्रिक विशेषताओं का गुणगान करते हुये मेहताजी ने अग्रवाल समाज से उनके आदर्शों का पालन करने का आह्वान किया. पं. विजयशंकर मेहता ने कहा कि अग्रसेनजी पर पंचदेव अर्थात भगवान राम, श्रीकृष्ण, महादेव, महालक्ष्मी और हनुमान जी की असीम कृपा रही है क्योंकि अग्रसेन इनके सच्चे सद्गुणधारी  भक्त थे. पं. मेहता ने महाराजा अग्रसेन पर रचित अग्रभागवत के अनेक प्रसंगों का उल्लेख किया और बताया कि अग्रसेन ने अपने सुकर्मों से पिता राजा वल्ल्भसेन से भी कहीं अधिक कीर्ति प्राप्त की. 


अग्रसेन ने सदा धर्म के अनुसार राजपाट चलाया. उनका राज्य ‘द्वीतिय वैकुंठम’ (दूसरे स्वर्ग) के रूप में तीनों लोकों में ख्यातिप्राप्त हुआ. वे एक क्षत्रिय राजा थे परंतु एक महायज्ञ के दौरान जब घोड़े की बलि दी जा रही थी तब इस तरह पशु हत्या से विचलित होकर उन्होंने यज्ञ रुकवा दिया. ऋषियों ने पशुबलि को उचित बताया परंतु राजा अग्रसेन ने इसे प्रकृति के विरुद्ध बताकर ऐसा करने से इंकार कर दिया. अग्रसेन ने तत्काल ही क्षत्रिय वर्ण त्याग करके वैश्य वर्ण अपनाने की घोषणा कर दी. तब से उनके वंशज वैश्य वर्ण के कर्म अनुरूप उद्योग, व्यापार, व्यवसाय, गोपालन और कृषि कार्य करते आ रहे हैं. इन क्षेत्रों में आज अग्रवाल समाज सर्वत्र अग्रणी है, समृध्द सुखी है और मानव कल्याण कार्यों में तत्पर होकर सेवा कर रहा है. धर्म के अनुपालक महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवनकाल में भगवान शिव और महालक्ष्मी को प्रसन्न बनाये रखने के लिए अनेकों बार महायज्ञ किये और उनकी विशेष अनुकंपा प्राप्त की. उन्होंने महालक्ष्मीजी से प्रार्थना की कि वे उनके वंशजों पर अनंतकाल तक कृपा बनायें रखें. 


आज अग्रवाल समाज महालक्ष्मीजी की महापूजा करते हुये उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुये स्वय़ं और सबके लिये सदा सुख, शांति, समृद्धि की कामना कर रहा है, सनातनी संस्कारों का पालन कर रहा है. यह महायज्ञ धर्म को उगाने के लिये हो रहा है. लोग कितने आये यह महत्व का नहीं है परंतु इसका संदेश दूरगामी और परिणामकारी है. जिस तरह अग्रसेन ने महालक्ष्मी से वरदान में स्वयं के उत्कर्ष के लिये नहीं कुछ नहीं मांगा अपितु समाज के सर्वांगीण कल्याण का वर मांगा, वही भाव आज के महायज्ञ में निहित है. पं. मेहता ने समस्त अग्रवाल समाज को धन के दुष्प्रभावों से दूर रहने, बुजुर्गों का सदा सम्मान करने की सलाह के साथ सदा मुस्कुराते हुये जीवन जीने का आह्वान किया. उन्होंने वर्तमान पारिवारिक जीवन के अनेक पहलुओं पर भी प्रकाश डाला. प्रवचन के पूर्व महालक्ष्मी वरदान दिवस महायज्ञ के संयोजक व अग्रसेन मंडल के उपाध्यक्ष संदीप बीजे अग्रवाल, मंत्री रामानंद अग्रवाल, प्रमुख अतिथि सौरभ संजय-आकांक्षा अग्रवाल, मुख्य यजमान दंपत्ति उमेश एवं दीपा अग्रवाल, मार्गदर्शक दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने पं. विजयशंकर मेहता का अंगवस्त्र तथा पुष्पमाला से स्वागत किया.  

महालक्ष्मी महायज्ञ के लिये २१ हवनकुंड बनाये गये थे. महालक्ष्मी जी की अष्टधातु प्रतिमाओं का पंचद्रव्य तथा सैकड़ों कमल पुष्पों से श्रद्धापूर्वक अभिषेक किया गया. मुख्य यजमान दंपत्ति उमेश-दीपा अग्रवाल के नेतृत्व में सहयजमान हरीश-हीरा अग्रवाल, गिरिश-सुलेखा लिलाडिया, रितेश-मेहा अग्रवाल, विवेक-राधिका खेमुका, राजेश-मीना खेतान, अर्पित-सलोनी अग्रवाल, संकेत-प्रेरणा बगडिया, प्रतीक-मोनिका अग्रवाल, राधेश्याम-स्वीटी अग्रवाल, आनंद-प्रियंका अग्रवाल, आशिष-प्रार्थना अग्रवाल, विमल-सरिता मेहाडिया, सुमित-सुरुचि अग्रवाल, सचिन-साची अग्रवाल, सुशील-मंजु फ़तेपुरिया, ब्रिजेश-कल्पना अग्रवाल, अनुज-निधि जैन, दीपक-मेघा अग्रवाल, आशीष-मेनका अग्रवाल, अंकित-संजना चौधरी ने महायज्ञ में भाग लिया.पश्चिम नागपुर के नवनिर्वाचित विधायक विकास ठाकरे ने भी उपस्थित होकर महालक्ष्मी जी का अभिषेक किया पूर्णाहुति, महाआरती व प्रसाद भोज में बड़ी संख्या में अग्रवाल परिवार शामिल हुये.अभिषेक की गईं महालक्ष्मी जी की सभी मूर्तियां यजमानों और अतिथियों को भेंट कर दी गई. 

पंडित. श्यामसुंदर पुरोहित ने अपनी टीम के साथ महायज्ञ विधि विधान से सम्पन्न कराया. अग्रसेन भवन परिसर को धार्मिक तथा पवित्र अनुष्ठान स्थली की भांति सजाया गया था. वरिष्ठ समाजसेवी अरुण-सुमित्रा अग्रवाल (मुगलसरायवाले) दम्पत्ति ने इसके लिये सहयोग किया. महालक्ष्मीजी, अग्रसेनजी, माधवीजी की अत्यंत मनोहारी मुर्तियों के साथ मंदिर सजाया गया था. छप्पन भोग का नैवेद्य अर्पित किया गया. शशिकांत-कविता सिंघानिया के सौजन्य से झांकी निर्मित की गई तथा सुनील-वंदना अग्रवाल (एमके) ने नैवेद्य अर्पित किया. सभी आकर्षक मूर्तियां मनोज इसलवार ने बनाईं. अग्रसेन छात्रावास के सामने आम जनता को भी महाप्रसाद वितरित किया गया. पूरे आयोजन को सफल बनाने में अग्रसेन मंडल के अध्यक्ष शिवकिशन अग्रवाल (हल्दीराम), मंत्री रामानंद अग्रवाल, कोषाध्यक्ष अनंतकुमार अग्रवाल, उपमंत्री प्रमोद अग्रवाल तथा महायज्ञ सहसंयोजक प्रल्हाद अग्रवाल (कानोडिया), राजेश अग्रवाल (मैरीज ब्यूरो), आशीष अग्रवाल (कानोडिया), श्रीमती कोमल अग्रवाल, श्रीमती शीतल गोयल, श्रीमती प्रिती संघी, श्रीमती रेखा अग्रवाल, श्रीमती आशा पचेरीवाला ने सक्रिय भूमिका निभाई. इनके साथ ही अर्पित अग्रवाल, विपुल अग्रवाल, यशअग्रवाल,ने भी आयोजन में हाथ बंटाया.
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