सदाबहार फिल्मी गीतों ने झूमने को किया मजबूर
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ज्येष्ठ नागरिक के अभिनन्दन मंच में फिल्मी गीतों की बही बयार
नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम अभिनंदन मंच ज्येष्ठ नागरिकों का सम्मान के अंतर्गत पुराने फिल्मी गीतों का कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रमुख अतिथि ए.एम.राजकारणे पूर्व जिला न्यायाधीश, नागपुर उपस्थित रहे। अतिथि का स्वागत अशोक कुमार गांधी ने अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर किया। इस अवसर ए. एम. राजकरणे ने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि ज्येष्ठ नागरिकों के लिए अभिनंदन मंच एक पुख्ता सोच है।
ज्येष्ठ नागरिक अपने विचार तो रखते ही हैं साथ ही साथ उनका समय आनंदमय वातावरण में बीतता है। यह अत्यंत सुखद है। वरिष्ठजनों के लिए ऐसे कदम उठाना त्याग की भावना दिखाता है। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन साधुवाद का पात्र है। शुरुआत मां सरस्वती के माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन से हुआ। 24 गीतकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम के संयोजक मंच संचालन डा.कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया।
सर्वप्रथम लक्ष्मी नारायण केशकर ने चुपके -चुपके रात -दिन आंसू बहाना . अरुण पांडेय ने जाने बहार हुस्न तेरा . नवीन त्रिवेदी ने मैं कहीं कवि न बन जाऊं . शरद त्रिवेदी ने बेकारार करके हमें यूं न जाइये. संजय वझलवार ने जिंदगी भर नहीं भूलेगी बरसात की रात. बलदेव जुनेजा ने मेरे नयना सावन भादो. सतीश गजभिए ने तुमसे अच्छा कौन है .अरूणा कुंडे ने सत्यम शिवम सुंदरम.अल्पा तालविया ने सोलह बरस की बाली उम्र को तेरा सलाम सुरेश त्रिवेदी ने बहारों फूल बरसाओ मेरा मेहबूब आया है।
उषा गायकवाड़ ने कजरा मोहब्बत वाला, अंखियों ने ऐसा डाला. संगीता तिवारी ने आंखों से जो उतरी. संध्या माहुले ने पिया तोसे नैना लागे. प्रफुल्ल गायकवाड़ ने मेरी आवाज़ ही पहचान है. अम्बादास देशभरतार पोटवार , संजय लिल्हारे,लहर पटेल,सुमेघ हनुमते, चितरशेन वाघमारे ओमप्रकाश, माधव जाम्बूणे, शिवानी शरदे, जया कलियानी, मोहम्मद शफी, रमेश मौदेकर, राजू हेडावू ,दिनेश सूचक, प्रकाश कुलकर्णी,ओम प्रकाश कहाटे, हिम्मत जोशी, जया कलिहानी, दिनेश पिल्लई की उपस्थिति रही।