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मानवाधिकार का सबसे प्रखर प्रवक्ता है भारतवर्ष - डॉ. राजकुमार सचदेवा


नागपुर। भारत मानवाधिकार का सबसे प्रखर प्रवक्ता है। भारत ने ही दुनिया को मानवीय गरिमा का पाठ पढ़ाया है। सर्वेभवन्तु सुखिन: का उद्घोष भारतीय लोकचिंता का परिचायक है। आज पूरी दुनिया में मानवाधिकार की चर्चा हो रही है, किन्तु भारत में प्राचीन काल से मानवाधिकार की रक्षा के लिए सार्थक प्रयत्न हुए।  


मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भारत सदैव प्रतिबद्ध रहा है। यह बात छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजकुमार सचदेवा ने कही। 
वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में बोल रहे थे।

डॉ. सचदेवा ने कहा कि संत कबीर, गुरु नानक, गोस्वामी तुलसीदास, संत रविदास, संत घासीदास जैसे मनीषियों ने अपने पदों और वाणियों के माध्यम से समाज को जाग्रत और संगठित किया। भारतीय मनीषा जन साधारण के कल्याण की, उनके अधिकारों की बात करती है। 

प्रास्ताविक रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि भारतीय चिंतन में समस्त चराचर जगत के कल्याण की कामना की गई है। हमारे यहां मानव को सृष्टि का सबसे बुद्धिमान प्राणी माना गया है। बसुधैव कुटुम्बकम् की भारतीय अवधारणा के मूल में सबके हित की भावना निहित है। सभी के प्रति समान और सम्मानजनक व्यवहार हमारी जीवनशैली की मूल प्रतिज्ञा है। 

कार्यक्रम में अनेक प्राध्यापक, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमित सिंह ने किया तथा डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया
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