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रचना के लिए कोई समय अनुकूल नहीं होता - अरुण कमल


नागपुर। साहित्य समाज से जन्म लेता है। समाज की परिस्थिति को देखकर कवि रचना करता है। कवि की चाह होती है कि समाज में सर्वत्र प्रेम हो। प्रेमभाव के साथ सभी जुड़ें और घृणा को अपने से दूर रखें। रचना के लिए कोई भी समय अनुकूल नहीं होता। यह बात प्रसिद्ध कवि श्री अरूण कमल ने कही। वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में "लेखक से मिलिए" कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हर दौर में समाज के समक्ष चुनौतियां रही हैं। विकास चुनौतियों का मुकाबला करते हुए संभावनाओं की तलाश का ही नाम है। लेखक का काम अपने समय और समाज की चीरफाड़ नहीं है बल्कि उन पक्षों को उभारना है जिससे बेहतर समाज का मार्ग प्रशस्त होता है। 


लेखक ही नहीं, प्रत्येक समाज के सभी जागरूक, विवेकवान लोगों ने सदैव यही किया है। समय और समाज की कसौटी पर हमेशा अच्छा और सच्चा चलता है, वही बचता है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि धर्म सबके लिए कल्याणकारी है। यह मनुष्य के स्वभाव और कर्तव्य का परिचायक है। इसके बगैर कल्याणकारी जीवन और समाज की कल्पना असंभव है। 

प्रास्ताविक रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि रचनाकार अपने समय का सबसे जागरूक प्राणी होता है। क्योंकि वह संवेदनशील होता है। उसकी कोशिश ऐसे सपने संजोने की होती है जहां मनुष्यता हो, लोकहित हो। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमित सिंह ने और आभार डॉ. संतोष गिरहे ने व्यक्त किया।

इस अवसर पर नगर के साहित्यकार डॉ. मिथिलेश अवस्थी, प्रख्यात न्यूरो सर्जन, कवि डॉ. लोकेन्द्र सिंह, एस.पी.सिंह, वरिष्ठ चिंतक श्रीपाद जोशी, अनिल त्रिपाठी, संतोष बादल, कवि डॉ. नीरज व्यास, डॉ. मधुलता व्यास, अनिल मालोकर, डॉ. शशिकांत शर्मा, पूनम हिंदूस्तानी, हेमलता मिश्र, टीकाराम साहू, डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, डॉ.एकादशी जैतवार, प्रा. जागृति सिंह, प्रा. दामोदर द्विवेद्वी सहित अनेक विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे।
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