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राष्ट्रीय एकात्मता का आधार हैं भाषाएं : डॉ. राजेन्द्र काकडे




हिन्दी विभाग में मनाया गया भारतीय भाषा दिवस

नागपुर। भाषा मनुष्य की अस्मिता की परिचायक होती है। भाषाई विविधता के बावजूद भारतीय समाज में राष्ट्रीय स्तर पर अद्भुत एकता है। हमारी एकात्मता का मूलाधार हैं भाषाएं। उक्त विचार राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के प्र-कुलगुरु डॉ. राजेन्द्र काकडे ने व्यक्त किए। वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विदर्भ प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘भारतीय भाषा दिवस’ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। राष्ट्रकवि सुब्रमण्यम भारती की जन्म जयंती के उपलक्ष्य में उक्त आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंर्तगत भारतीय भाषाओं के माध्यम से ज्ञान-विज्ञान की परंपरा को सुदृढ़ किया जा रहा है। भारतीय भाषाओं में ज्ञान -विज्ञान के समस्त अनुशासनों की शिक्षा हो, यह अत्यावश्यक है। भारतीय समाज के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार श्राजेन्द्र पटौरिया ने अपने वक्तव्य में राष्ट्रकवि सुब्रह्मण्य भारती के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाकवि सुब्रह्मण्य भारती ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय चेतना को जगाया। वे एक साहित्यकार होने के साथ ही बड़े पत्रकार एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी रचनाओं में उज्ज्वल भारत के दर्शन होते हैं, इसलिए उन्हें 'भारती' की उपाधि दी गई। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि बैंक ऑफ बड़ौदा की राजभाषा अधिकारी सुश्री प्रतिका साकल्ये ने कहा कि वही राष्ट्र और समाज विकसित होता है जो अपनी भाषा को प्राथमिकता देता है। अपनी भाषाओं की रक्षा और उसका संवर्धन करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

कार्यक्रम का प्रास्ताविक रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि भाषायी चेतना जगाने के लिए महाकवि सुब्रह्मण्य भारती की जयंती को 'भारतीय भाषा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। सुब्रह्मण्य भारती ने अपनी कविताओं में भारत की सांस्कृतिक एकात्मता की संकल्पना व्यक्त की है। 
कार्यक्रम का संचालन विभाग के सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने किया तथा डॉ. सुमित सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर दर्शनशास्त्र के विभाग प्रमुख डॉ. धीरज कदम, हिन्दी विभाग के डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, डॉ. एकादशी जैतवार, प्रा. दामोदर द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे।
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