बगीचों में बिगड़ता बचपन - 1
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बाल उद्यान बन गया लव गार्डन
नागपुर। बाल उद्यान, जहाँ बच्चों की किलकारियाँ गूंजनी चाहिए वहां अब किलकारियों के साथ आज अश्लील हरकतों और अनुशासनहीनता का केंद्र बनता जा रहा है। हाल ही में मेकओवर के बाद बाल उद्यान को नई चमक-धमक मिली, लेकिन इसकी असली पहचान—बच्चों के खेलने और आनंद के स्थान के रूप में - कहीं खोती जा रही है। इस तरफ प्रशाशन का कोई ध्यान नहीं है। शहर में कई उद्यान है। मनपा, एनआईटी, वन विभाग का शहर के उद्यानों पर नियंत्रण है। फिर भी उद्यानों में अव्यवस्थाओं का आलम बरकरार है।
बच्चों का हक छीना जा रहा है
झूले, स्लाइड और खेल के अन्य उपकरण छोटे बच्चों के लिए बनाए गए हैं, लेकिन आज इन पर कॉलेज के लड़के-लड़कियों का कब्जा है। वे झूलों का गलत इस्तेमाल करते हैं और बच्चों को खेलने से रोकते हैं। मासूम बच्चे, जो झूलों पर खेलने के लिए उत्साहित होते हैं, निराश होकर अपने माता पिता के पास चले जाते है। माता पिता संबंधित व्यक्ति, महिला या उस पर झूल रहे कॉलेज के छात्रों को समझने जाते है तो वे उन्हें ही डाट की विवाद करते है।
अश्लील हरकतों का बना केंद्र
अक्सर देखा गया है कि युवा जोड़े उद्यान में अशोभनीय व्यवहार करते हैं। उनकी हरकतें न केवल उद्यान के माहौल को खराब करती हैं, बल्कि वहाँ मौजूद बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए असुविधा और शर्मिंदगी का कारण बनती हैं। बाल उद्यान जैसी जगह पर इस प्रकार का व्यवहार बगैर रोक टोक के शुरू है।
गार्ड और निगरानी का अभाव
सबसे बड़ी समस्या यह है कि उद्यान में किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। न तो वहाँ कोई गार्ड है और न ही किसी प्रकार की निगरानी। अगर गार्ड की नियुक्ति की जाती और उचित नियम बनाए जाते, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
बाल उद्यान बच्चों की मासूमियत और खुशियों का प्रतीक है। इसे बचाने के लिए समाज के हर वर्ग को आगे आना होगा। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो बच्चों की खुशियाँ छिन जाएंगी, और बाल उद्यान का उद्देश्य समाप्त हो जाएगा।
समाधान और सुझाव
1. गार्ड की नियुक्ति: उद्यान के भीतर अलग अलग जोन में गार्ड की व्यवस्था होनी चाहिए, जो अनुशासन बनाए रखने में मदद करे।
2. नियम लागू करना: बच्चों और युवाओं के लिए निर्धारित नियमों का कड़ाई से पालन करवाया जाए।
3. सीसीटीवी कैमरे: उद्यान की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कैमरों की व्यवस्था की जाए।
4. जागरूकता अभियान: अभिभावकों और युवाओं को यह समझाने के लिए अभियान चलाया जाए कि बाल उद्यान बच्चों का अधिकार है।
5. बाल उद्यान में सिर्फ अभिभावकों के साथ आए बच्चों को ही प्रवेश दिया जाना चाहिए। युवाओं को नहीं।
- डॉ. प्रवीण डबली
वरिष्ठ पत्रकार