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व्यक्ति के जीवन में टर्निंग प्वाइंट आता जरूर हैं : बसंत कुमार पालीवाल


नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम अभिनंदन मंच के अंतर्गत ‘जीवन का टर्निंग प्वाइंट’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी एवंम उद्योजक बसंत कुमार पालीवाल ने की। पालीवाल ने उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा कि, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में टर्निंग प्वाईट जरूर आता है ऐसे वक्त को समझकर उसका सही उपयोग किया जाये तो जीवन में परिवर्तन होने समय नहीं लगता। कुछ एसा ही वाकिया मेरे साथ हुआ है कर्म के आधार पर जीवन व्यतित करते समय एक ऐसा मोड़ आया कि मैं सब कुछ छोड़कर गांव आर्वी जाने का मानस बना चुका था, उस समय एक ऐसे महानुभाव से संपर्क हुआ कि, उन्होंने मुझे बिजनेस करने की प्रेरणा दी और मैं उनकी बात को मानकर व्यवसाय में जुड़ गया। जिस समय मैने गांव जाने का फैसला किया था उस वक्त मेरी आर्थिक और मानसिक स्थिती विचित्र थी। आज मैं जीवन में खुशहाल हूं और सामाजिक व धार्मिक कार्यों से जुड़ा हुआ हूं। 


उन्होंने बताया कि, आर्वी में रामदेव बाबा के मंदिर का जिर्णोद्वार करने का सौभाग्य मुझे मिला। वक्तव्य में कहा कि, कर्म के आधार पर ही जीवन में तरक्की की जा सकती है। मेहनत करने वाला व्यक्ती ही आगे बढता हैं। उन्होंने कहां कि, यह बात कभी किसी से नहीं कहना की मेरी जेब खाली है। अपनी कमजोरी ही हमारी स्थिती को उजागर करती है। मंदिर निर्माण के लिये मैंने संकल्प किया पैसा पास में नहीं था लेकिन द्रढ़ता के बलपर कार्य की शुरूवात की और यही से मेरा जीवन परिवर्तित होने लगा। आगे अपने वक्तव्य मे कहा टर्निंग प्वाइंट के साथ अपना तकदीर भी साथ देना चाहिए। कामयाबी की शिक्षा हमें घर-परिवार से ही मिलती है।

विजय तिवारी ने कहा की, शहरी जीवन व्यतित करने के साथ ही जब गांव जाने की इच्छा हुई तो गांव गया । वहां की जीवन शैली अलग होने से मैं वहा मिलजुल नहीं पाया। लेकिन जब दुसरी बार गांव गया तो चाचाजी ने गांव के तरीके से रहन-सहन रखने का हितोपदेश दिया । आज मेरे लिये गांव और शहर कोई अंतर नहीं हैं । वहा की परंपरा सीखने से आज मेरे बच्चे और परिवार भी गांव जाने के लिये उत्सुक रहते हैं। विजय ने कहा कि, एक युवक की हुई दुर्घटना के दौरान मुझमें न जाने कहा से हिम्मत आई और उसके शरीर के अंगों को मैंने व्यवस्थित कर अस्पताल पहुंचाया आज मुझे ऐसे हादसे दिखाई देने पर मैं तुरंत घायल की मदद करने दौड़ जाता हूं।

विषय पर अपनी बात रखते हुए राजीव गायकवाड़ ने कहा कि, बचपन में मैंने फिल्म के पोस्टर लगाने का काम किया। उस पोस्टर की लिखावट से मेरे मन में प्रेरणा जागी। घर का माहौल भी मिला। धीरे-धीरे ड्राईंग बनाना शुरू कर दिया। आज मेरी पहचान काटुर्निस्ट के रूप में बनी हुई है। पोस्टर की लिखावट मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। शंकर मेश्राम ने कहा संतो की सेवा की। साथ ही साहित्यिकारो की संगत से जो प्रेरणा मिली। उसी से मेरे जीवन मे टर्निंग प्वाइंट आया। सेवानिवृत्त बैंक मॅनेजर अशोक कुमार गांधी ने कहा कि, मेरी पहली पोस्टींग सावनेर से आठ किलो मीटर दूर बैंक की शाखा में हुई थी। 

समाजसेवा का जुनून बचपन से ही सिरपर चढ़ा हुआ था बैंक की नौकरी दौरान मेरा मन नहीं लगता था । तत्कालीन बैंक मॅनेजर ने मेरी स्थिती को देखकर कहा कि, तुम्हें बैंक में सर्विस इसलिए मिली है ताकि तुम लोगों की मदद और सेवा कर सको। उस दिन मेरी सोच बदल गई बैंक से जब मेरा तबादला हुआ तो ग्रामिण बेहद उदास दिखाई दिये। बैंक मॅनेजर के शब्द मेरे जीवन में टर्निंग प्वाईंट के रूप में आये और मैं लोगों की सेवा करने में अपने आपको काबिल बनाया। 

शान्तनु दास ने बताया कि, ज़िन्दगी जो सिखाती उसे ही सीख मिलती है। मेरी पत्नी का देहांत हो चुका था । ज़िन्दगी से मानसिक रूप से पूरी तरह से टूट चुका था। एक महिला साथी की प्रेरणा ने मेरी जिन्दंगी बदल दी और आज मैं कॅन्सर पीड़ितों की सेवा में जुटा हुआ हूं।


लक्ष्मी नारायण केशकर ने अपने जीवन के अनुभव सुनाए। मंच पर प्रमुख अतिथि बसंत पालीवाल का स्वागत विजय तिवारी ने स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र देकर किया। कार्यक्रम का संचलान संयोजक डा. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया। आभार प्रदर्शन अशोक कुमार गांधी ने किया। कार्यक्रम में अनिता गायकवाड़, सुभाष उपाध्याय, सुजातादुबे पु. ल. गुंरिवार, फिरोज शेख, संतोष गजभिए दादा, अवतारे भोजराज हाड़के आदि उपस्थिति थे
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