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माँ की ममता


शीतल पवन बयार सी,
यशोदा के मनुहार सी,
सुंदर प्यारी मेरी माँ,
सारे जग में न्यारी माँ.
हर आस में मेरी माँ,
हर सांस में मेरी माँ,
उसकी ममता अपरम्पार,
हर पल आशीर्वाद है माँ,

कभी गुमसुम कभी वाचाल सी,
पावन गंगाधार सी,
लाखों में एक मेरी माँ,
कभी ना हिम्मत हारी माँ.
एक अनबूझ पहेली सी,
सुख दुख में सहेली सी,
बड़ी गजब है मेरी माँ,
शांत, सौम्य मेरी माँ.

आशीर्वाद की खान सी,
देवताओं के मुस्कान सी,
अहोभाग्य है मेरी माँ,
कर्मभूमि में ना हारी माँ.
इंद्रधनुष के रंगों सी,
जीवन के उमंगों सी,
सदा मुस्कुराती मेरी माँ, 
जग से प्यारी मेरी माँ.

- सुनीता श्रीवास्तव 
   गुलाब चौराहा, नरसिंहपुर (म. प्र.)
काव्य 1910370642321828659
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