हिंदी महिला समिति में कचरा संकलन करनेवालों की व्यथा जैसे अछूते विषय पर मर्म स्पर्शी परिचर्चा
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नागपुर। शहर की प्रतिष्ठित संस्था हिंदी महिला समिति के तत्वाबधान में, बेहद मार्मिक विषय "कचरा संकलन करने वालों की व्यथा" पर समिति की अध्यक्षा श्री मति रति चौबे की अध्यक्षता में परिचर्चा का आयोजन किया गया।संयोजन और संचालन ममता विश्वकर्मा का था।
परिचर्चा में समिति की बहनों ने अपने विचार रखे।
गीतू शर्मा ने कविता के माध्यम से इनकी व्यथा को व्यक्त करते हुए कहा कि इन्हें भी प्यार और सम्मान देना चाहिए।घर,घर जाकर कचरा संकलन कर,गंदगी में काम कर कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं आपने इन्हें कर्मवीर की उपाधि दी।
निवेदिता जोशी ने भी इनके दुःख को समझा।सफाई कर्मचारी के मुंह से ये बात कहलवा कर कि भाई कचरे का कचरा न करें।गीला, सूखा कचरा अलग रखे,बचा खाना पशुओं को डाल,कांच जैसी चीजों को अलग से रखें,ताकि हम भी सुरक्षित रहे,हम महिलाओं को बड़ी सीख दी है।
निशा चतुर्वेदी जी ने भी कहा कि हमारे घर,परिसर को स्वच्छ कर हमे कई तरह के संक्रमण से बचाते हैं।इनके काम के महत्व को समझते हुए उन्होंने इन्हें समय, समय पर पुरस्कृत किए जाने की मांग की।
गार्गी जोशी जी ने छोटी सी नाटिका के 2पात्र पलटू और भूरे के माध्यम से इनके दुःख और तकलीफों का जिक्र किया। कि लोग समय पर कचरा नहीं देते ,दरवाजा नहीं खोलते फिर इन्हें ही डॉट,फटकार लगाते है कि तुम बराबर आते नहीं हो। शिकायत कर देंगे।नौकरी पर बन आयेगी।
अध्यक्षा रति चौबे जी ने लघु नाटिका के माध्यम से हमें भी यह एहसास कराया कि अपनी जिंदगी को दांव पर लगा कर ये कितना महत्व पूर्ण काम को अंजाम देते हैं,हमे भी इनके लिए कुछ करना चाहिए।
भगवती पंत जी ने भी कविता के माध्यम से इनके दुःख को उकेरा है कि बीमारी,में घर में शादी हो,या फिर कोई परेशानी हो छुट्टी न मिलने पर काम को आना ही पड़ता है।साथ ही उन्होंने कहा कि 2दिन कचरा पड़ा रहे तो हम बदबू से परेशान हो जाते हैं और ये पेट पालने के लिए इसी गंदगी में काम करते है।हमे इनके दर्द को समझना चाहिए।
पूनम मिश्रा जी ने सुंदर सी प्रेरक कहानी के इनके दुःख को समझते हुए यह संदेश दिया है कि शिक्षा के द्वारा हम अपने सपने पूरा कर सकते है,हमे भरपूर मेहनत करने की जरूरत है तभी सफाईकर्मी की बेटी अपने मेहनत के बल पर पुलिस में भर्ती हो गई।
सुषमा अग्रवाल ने हास्यव्यंग के सपने के माध्यम अपनी बात बताई कि ये सारे अगर एक दिन भी न आए तो हमारी कितनी बुरी हालत हो जाती है। ये हमारे लिए कितने जरूरी हैं।
अमिता शाह जी ने इन्हें अपने ही परिवार का हिस्सा समझ इन्हें मान,सम्मान,और प्यार देने की बात कही।साथ ही हमे इनकी मदद भी करते रहना चाहिए।
हमारी सचिव रश्मि मिश्रा ने एकांकी नाटक में व्यंग्य के जरिए हमे यह समझाया की हर जगह कचरा फैलाना अच्छी बात नहीं है। ये सफाई कर्मचारी हमारी गंदगी समेट हम पर बहुत उपकार करते है।हमे भी इनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।सम्मान देना चाहिए।
मंजू पंत जी अपने विचार रखते हुए कहा कि कचरा संकलन करनेवालों को हम हेय दृष्टि से देखते हैं।अपना पेट पालने के लिए ये सब काम इन्हें करना पड़ता हैं यदि ये काम बंद कर दे तो क्या स्थिति होगी।कल्पना नहीं कर सकते।
इस परिचर्चा में समिति की सभी सदस्यों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। और अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।