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पूर्णकालिक शिक्षाव्रती थे स्व. दीनानाथ बत्रा : सुनील किटकरु


नागपुर। शिक्षा बचाओ आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर, देश के प्रख्यात शिक्षाविद् स्वर्गीय दीनानाथ बत्रा की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, विदर्भ प्रांत द्वारा किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारत विचार मंच के विदर्भ प्रांत संयोजक सुनील किटकरु ने कहा कि बत्रा जी ने देश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में, उसे राष्ट्रीय हितों के अनुरूप बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बत्रा जी ने स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रम को भारतीय मूल्य और संस्कृति से जोड़ने पर बल दिया।


श्रद्धांजलि सभा में स्वर्गीय बत्रा जी के जीवन और कार्यशैली पर प्रकाश डाला गया। विदर्भ प्रांत के संयोजक डॉ मनोज पांडे ने कहा कि बत्रा जी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के शिल्पकार थे। उन्होंने मूल्याधारित शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने देश में भारतीय मूल्य केंद्रित शिक्षा को बचाने के लिए एक ऐसा राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा किया जिसे आज शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के नाम से जाना जाता है। 

बत्रा जी ने जीवन भर शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए विभिन्न स्तरों पर अनेक लड़ाइयां लड़ी। सड़क पर आंदोलन से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को भारतीय संस्कृति और परिवेश के अनुरूप बनाने पर बल दिया। उनके नेतृत्व में चले अभियान के कारण माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनेक पाठ्यक्रमों में संशोधन करने के निर्देश दिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के निर्माण में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

डॉ. संतोष गिरहे ने बत्रा जी के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि उनके जैसे शिक्षाविदों के कारण ही राष्ट्र में एक सकारात्मक पहल संभव होती है। उन्होंने शिक्षा के भारतीयकरण पर सदैव बल दिया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए विवेकानंद केंद्र की पत्रिका 'केंद्र भारती' के संपादक डॉ लक्ष्मेश्वर चंद्रवंशी ने बत्रा जी को देश का एक महान शिक्षाविद और राष्ट्रभक्त बताया। इस अवसर पर अनेक लोगों ने अपने विचार व्यक्त किया।
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