अपेक्षाओं के साथ जिम्मेदारी का ध्यान रखना जरूरी
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चौपाल में प्रमुख वक्ताओं के विचार
नागपुर- आज का दौर जिस सकारात्मक दृष्टिकोण से चल रहा है उसमें अपेक्षाएं रखना निरर्थक है। आज के दौर में समाज को आदर्श समाज बनाने की दिशा में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा । इच्छाओं के साथ जिम्मेदारी का ध्यान रखें तो अपेक्षाओं का दौर समाप्त होने में वक्त नहीं लगेगा । आवश्यकता की पूर्ति संभव है, लेकिन अपेक्षाओं की पूर्ति कतई संभव नहीं होने का उल्लेख वक्ताओं ने किया। विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम 'चौपाल' के अंतर्गत सामान्य जन की समाज से अपेक्षाएँ विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ताओं ने उक्ताशय के विचार व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि डॉ मनोज साल्पेकर ने कहा, कि हम सामाजिक प्राणि जरूर हैं, लेकिन हमारा अस्तित्व भी समाज ही है। उन्होंने कहा कि मेरी पहचान यदि अपेक्षाओं की बनी है तो मेरी शक्ति और गुणवत्ता की पहचान होना भी जरूरी है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी शक्ति और क्षमता का अहसास होना जरूरी है। डॉ साल्पेकर ने बैरिस्टर से जन प्रमुख बने महात्मा गांधी और मदर टेरेसा का उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रमुख वक्ता डा. नितीश सिंह ने कहा कि जहां सकारात्मकता होगी समाज संतुलित रहेगा। बुद्धिमत्ता का दृष्टिकोण सकारात्मक है तो स्थिति अनुकूल बनी रहेगी। समाज के प्रति चिंतित नहीं बल्कि चिंतन होना चाहिए।
प्रास्ताविक भाषण में डा. बच्चू पांडे ने संस्था द्वारा जारी गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चौपाल सामाजिक क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहा है परिचर्चा में एक जगत बाजपेयी, लक्ष्मीनारायण केशकर, मदन गोपाल बाजपेयी, सुनील साठे, अजय हावरे, जितेन्द्र पुरी आदि ने भाग लिया। अतिथियों का अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह देकर हरविंदर सिंग गांधी, अंबरीश दुबे, सुभाष उपाध्याय ने सत्कार किया। संचालन डा० कृष्णकुमार द्विवेदी ने किया। जितेन्द्र पुरी, सुनील साठे, मनोज शुक्ला, राजेश गौतम, भागवत पांडे, पूजा कनौजिया, वेदप्रकाश तिवारी, दीपक ओझा व अखिलेश पांडे आदि उपस्थित रहे।