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नेताओं का चुनावी व्यायाम : भागदौड़



जैसे ही चुनाव प्रचार का बिगुल बजता है, नेताजी की रगों में एक अजीब-सी ऊर्जा का संचार होने लगता है। सालभर भले ही वे जनता से दूर रहे हों, पर इस समय वे सड़कों पर ऐसे उतरे होते हैं जैसे मानो जनता के लिए हमेशा से उनके दिल में जगह हो। न जाने कहाँ से उनके पैर अचानक मीलों चलने की ताकत पा जाते हैं। 

सुबह से शाम तक चौपालों से लेकर पान की दुकान तक, गांव की गलियों से लेकर शहर के मोहल्लों तक बैगर खाए पिए भाग दौड़ करते रहते है। भाग दौड़ की इस विधा से नेताजी का वजूद हर जगह बिखरा नजर आता है। जितना भागदौड़ का व्यायाम वे 5 साल में नही करते उतना वे 15 दिन में कर लेते है।

उनके चुनावी वादों का भी अजब हाल होता है। वादों में इतनी चमक और जादू कि साक्षात् अलादीन का चिराग भी शर्मा जाए! हर चौपाल में नई गाथा, हर गली में नया सपना! "सड़कें चमकती रहेंगी", "हर घर में बिजली पानी", "हर युवा को रोजगार" , सविधान बचाओ की गूंज — बस, वोट दो और सपनों की झड़ी लगने वाली है। जनता भी जानती है कि यह बस कुछ ही दिनों का खेल है, फिर नेताजी उसी एसी कमरे में जा बैठेंगे, जहाँ से सड़क की धूल और जनता की चीखें नहीं सुनाई देतीं।

प्रचार की रणनीतियाँ भी अपने आप में एक तमाशा होती हैं। आजकल के नेताओं ने तो सोशल मीडिया का पूरा विज्ञान सीख लिया है। अब हर भाषण, हर पोस्टर, हर ट्वीट में ‘फिल्टर’ लगाया जाता है, ताकि नेताजी और भी चमकते दिखें। उनके बड़े-बड़े काफिले, चमचमाती गाड़ियाँ, और "मेरा नेता कैसा हो" वाले नारों के शोर में असली मुद्दे गुम हो जाते हैं। अबकी बार चुनाव में "भाऊ" का उपयोग बहुत हो रहा है। हर नेता महिलाओ को वो ही आपका असली "भाऊ" है यह समझाने में लगा है...यह लाडली बहना का असर लग रहा है। 

चुनाव का यह पर्व नेताओं के लिए किसी महाकुंभ से कम नहीं होता। वे इस दौरान इतनी यात्राएँ करते हैं, जितनी शायद पूरी जिंदगी में नहीं करते। हर भाषण के बाद उन्हें खुद के भाषण पर ताली बजवाने का हुनर भी बखूबी आता है। जनता ताली बजाए न बजाए, पर उनके चमचों का काफिला तैयार रहता है।

और आखिरकार चुनाव का दिन आता है। नेताजी उस दिन मंदिर-मस्जिद में माथा टेकते नजर आते हैं, जैसे सारी श्रद्धा अचानक जाग उठी हो। मतदान के बाद, जनता की सारी उम्मीदें ठंडी पड़ जाती हैं और नेताजी की ये ‘भागदौड़’ भी रुक जाती है। पाँच साल का एक और वादा दे, नेताजी फिर जनता से विदा लेते हैं।
यही है हमारे नेताजी का चुनावी व्यायाम - जनता के भरोसे का, उसके सपनों का, और उसके दिल का खेल। 

- डॉ. प्रवीण डबली (वरिष्ठ पत्रकार)
    नागपुर, महाराष्ट्र
समाचार 6051271856099800191
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