छठवें ‘ओसीएलएफ - 24’ में हिंदी कवि सम्मेलन संपन्न
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नागपुर। रायसोनी फाउंडेशन द्वारा प्रणीत सेंट्रल इंडिया के सबसे बड़े ‘ऑरेंज सिटी लिटरेचर फेस्टिवल 2024’ के छठवें संस्करण में जहां अन्यान्य विषयों पर देश विदेश से पधारे विद्वान साहित्यकारों और कलाकारों ने विभिन्न सत्रों में शिरकतकर अपने अनुभवों को साझा किया वहीं समारोह के अंतिम दिन की दोपहर ने ऑरेंज सिटी के तीन चर्चित कवियों की कविताओं ने वातावरण में और गर्माहट ला दी।
‘शब्दों का उत्सव:कविता की बहार - ऑरेंज सिटी के कवियों का उपहार’.. इस शीर्षक अंतर्गत सफल हुए कवि सम्मेलन में प्रख्यात चित्रकार अलग एंगल की एक प्रणेता मिली ललित विकमशी के सरस संचालन में उन्होंने ‘तुझसे है प्यार कितना ये कह नहीं पाते’ जैसी पंक्तियों के युवा श्रोताओं का मन जीतते हुए खूब तालियां बटोरी।
अंचल के सशक्त व्यंग्यकार,सफल सुप्रसिद्ध मंचीय कवि अनिल मालोकर ने ‘..अगर हम स्वार्थी होते तब तो हम वृद्धाश्रम में नहीं,तुम अनाथाश्रम में होते’ वृद्धाश्रम की बढ़ती हुई व्यवस्था के प्रति चुभते हुए काव्य को प्रस्तुत किया।अंचल के ही एक साहित्यकार, कवि, प्रकाशक और मंच संचालक अविनाश बागड़े ने अपनी देशभक्ति की ओजस कविता ‘मैं देश का सिपाही,सरहद मेरा ठिकाना’ के माध्यम से सदन को बांधे रखा।
शहर के गणमान्य लोगों के अलावा अंजलि वाशिमकर, पत्रकार द्वय उमेश यादव व टीकाराम साहू, डा विशाखा बागड़े, ग्रीन गिफ्ट की मनीषा कुलकर्णी, मीरा जोगलेकर, मोहन जोगलेकर, माधुरी मिश्रा, डा मंगेश भोरकर प्रमुख थे।