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लोकनृत्य की अद्भुत छटा बिखरी


अभिनंदन में ज्येष्ठ नागरिकों ने दी प्रस्तुतियां 

नागपुर। विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उपक्रम अभिनंदन मंच (ज्येष्ठ नागरिकों का सम्मान) के अंतर्गत लोकनृत्य कार्यक्रम आयोजित   किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि एडवोकेट राजेंद्र गुंडलवाल थे। अतिथि स्वागत    विजय तिवारी ने किया। इस अवसर पर एडवोकेट राजेंद्र गुंडलवाल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि‌‌- ‌ लोकनृत्य के विभिन्न रूपों को देखकर आनंदित हूं।लावणी, राजस्थानी, असमिया, कश्मीरी, पंजाबी व गुजराती। निरंतर अभ्यास से ही कला में निखार आता है। आप वर्षों से नृत्य कला की साधना कर रहे हैं। आप सभी  साधकों को मैं प्रणाम करता हूं। 

आयोजकों का धन्यवाद देते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में एक से‌ बढ़कर एक लोकनृत्य करके दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।  संचालन डॉ.कृष्ण कुमार द्विवेदी ने किया।  लोकनृत्य प्रतियोगिता में ‌‌ पहला पुरस्कार  संतोष बुद्धराजा,  दूसरा पुरस्कार भारती रावल‌ व तीसरा‌‌ पुरस्कार छबि चक्रवर्ती को  प्रदान किया गया। प्रतिभा भोले ने‌ लावणी  नृत्य , छबि  चक्रवर्ती ने असमिया, माया शर्मा ने‌‌ घूमर‌  नृत्य, संतोष बुद्धराजा ने पंजाबी  नृत्य, अशोक रावल व‌ भारती रावल‌ ने राजस्थानी लोकनृत्य के बाद एकल नृत्य किया। अनिता गायकवाड़ ने‌ कश्मीर की‌ कली‌ हूं गीत  के‌ बोल‌ पर नृत्य किया। इस अवसर पर डा सुषमा भांगे, विनायक चिंचोलकर, दिनेश बागड़ी, पूनम‌ पड़िया, विजय तिवारी, तन्हा नागपुरी, ची. ए. वजीर, नंदा वजीर, शंकर मेश्राम, लक्ष्मी नारायण केशकर, राजीव‌ गायकवाड़ की उपस्थिति रही।
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