Loading...

बढ़ता शुल्क चिंता का विषय है : डॉ. विजयालक्ष्मी रामटेके


नागपुर। विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज के द्वारा 15 सितंबर को विषय - ‘बढ़ता शुल्क घटता शिक्षा का स्तर’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ रजनी प्रभा, पटना, बिहार के मां सरस्वती वंदना से हुआ। मुख्य वक्ता डॉ. विजयालक्ष्मी रामटेके, भूतपूर्व अधिष्ठाता, राष्ट्र संत तुकडोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ ने कहा कि बढ़ता शुल्क चिंता का विषय है ही लेकिन शिक्षा का घटता स्तर अधिक गंभीर समस्या है, उस पर विचार करना जरूरी है
शिक्षा व्यवस्था का उद्देश्य विद्यार्थियों को नवीन प्रगतिशील विचारों वाला, सृजनशील, वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखने वाला, परिश्रमी, उद्यमी बनाना होता है।किसी भी देश में अच्छा परिवर्तन चाहिए हो तो वहां की शिक्षा नीति में योग्य परिवर्तन अपेक्षित है।

सरकार शिक्षकों को दोष देने की बजाय शिक्षकों को क्षमतावान बनाने की दिशा में प्रयास करे सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था करे।देश में समान शिक्षा प्रणाली लागू हो,सभी के लिए एक सा पाठ्यक्रम हो जिससे देश में समरसता का वातावरण बने शिक्षा के निजीकरण ने समाज के उच्च वर्गों के स्वर्थ के लिए अमीरों और गरीबों के बीच विषमता की जो गहरी खाई बनाई है उसे पाटा जा सके तभी शिक्षा का अपेक्षित स्तर हम पा सकेंगे।

वक्ता डॉ.रणजीत सिंह,अरोरा, 'अर्श' पुणे ,महाराष्ट्र ने कहा कि आज के वैश्विक युग में शिक्षा को विकास का प्रमुख स्तंभ माना जाता है। यह न केवल व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि राष्ट्र की प्रगति में भी इसका अहम योगदान है। हालांकि, वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में एक विरोधाभासी प्रवृत्ति देखी जा रही है: एक ओर शिक्षण संस्थानों का बढ़ता शुल्क, और दूसरी ओर शिक्षा के स्तर में गिरावट। यह समस्या न केवल छात्रों और अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि समाज के समग्र विकास को भी प्रभावित करती है।

बढ़ता शुल्क और घटता शिक्षा का स्तर एक गंभीर समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। शिक्षा केवल एक व्यवसाय नहीं है; यह एक सामाजिक दायित्व है जो देश के भविष्य को आकार देता है। इसलिए, आवश्यक है कि सरकार, शिक्षण संस्थान, समाज और छात्र मिलकर इस दिशा में प्रयास करें। गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। यदि हम समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं करते, तो यह हमारे समाज और राष्ट्र के विकास में बड़ी बाधा बन सकती है।

वक्ता डॉ विश्वनाथ कश्यप,प्राचार्य, स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम शासकीय विद्यालय पोड़ी, कोरबा ने कहा कि 'बढता शुल्क एवं गिरता शिक्षा का स्तर' विषय पर अपने वक्तव्य में डॉ विश्वनाथ कश्यप ने कहा शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सभी को समान शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बच्चों को अवसर प्रदान करने सबको आगे आना होगा । निजी विद्यालय निर्धारित दर  10% से अधिक शिक्षण शुल्क में वृद्धि नहीं कर सकते। शिक्षा का गिरते स्तर सुधारने के लिए समय समय पर शिक्षकों को प्रशिक्षण में भाग लेकर रोचक शिक्षण कला के आधार पर न्यूनतम अधिगम स्तर लाने गंभीर होना पड़ेगा।निजी विद्यालयों में बेतहासा शुल्क वृद्धि व रटंत प्रणाली के आधार पर अधिक नंबर पाने के तरीके पर चिंता प्रकट की एवं पालकों व  अभिभावकों विशेष रूप से जागरूक होने की आवश्यकता पर बल दिया। 

स्वागत उद्बोधन सुश्री नम्रता ध्रुव,सहायक प्राध्यापक, रायपुर छत्तीसगढ़ के द्वारा किया गया। प्रस्तावना डॉ.गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, सचिव,विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज ने कहा कि  शिक्षा व्यवसाय हो गया है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। संगोष्ठी का संचालन एवं संयोजन डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, छत्तीसगढ़ प्रभारी ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में न केवल शिक्षक बल्कि समाज और प्रशासन की भी जिम्मेदारी है। आभार पुष्पा श्रीवास्तव, शैली साहित्यकार कवयित्री,प्रयागराज प्रभारी के द्वारा किया गया। आभासी पटल पर श्री हरेराम बाजपेई मध्य भारत इंदौर, डॉ. सरस्वती वर्मा, लक्ष्मीकांत वैष्णव युवा प्रभारी,, डॉ. शहनाज शेख ,डॉ.मंजू पाटीदार,डॉ सीमा वर्मा, डॉ.सेमवेद शेख औरंगाबाद, डॉ सुनील परीट, नागपुर, लोमश साहू, सीमा रानी प्रधान, एम.एल.नत्थानी, रतिराम गढ़ेवाल छत्तीसगढ़ एवं प्रतिष्ठित महानुभाव,साहित्यकार, शिक्षक की विशेष उपस्थित रही
समाचार 735775200878937784
मुख्यपृष्ठ item

ADS

Popular Posts

Random Posts

3/random/post-list

Flickr Photo

3/Sports/post-list