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संतोष बादल के खंड काव्य 'किन्नर' का लोकार्पण


नागपुर। एक अछूते विषय को लेकर लिखे गए संतोष बादल के खंड काव्य 'किन्नर' का विमोचन सुप्रसिद्ध मेडिकल शिक्षाविद डा वेदप्रकाश मिश्रा जी की अध्यक्षता में विदर्भ पहले तृतीयपंथी एडवोकेट शिवानी सुरकर (वर्धा) के हस्ते, उत्कर्ष मोर भवन में संपन्न हुआ।विशेष अतिथि के रूप में पधारी सुप्रसिद्ध साहित्यकार इंदिरा किसलय ने पुस्तक की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत करते हुए संतोष बादल के सहज सरल और सरस लेखन पर साधुवाद दिया। 

शिवानी सुरकर ने तृतीयपंथियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहारों पर जहां अपने अनुभव बताए वहीं विपरित परिस्थितियों से जूझते हुए आज के अपने मकाम यानी देश के तीन तृतीय पंथी वकीलों में खुद के शामिल होने की संघर्ष यात्रा को दर्शकों से साझा कर अपना हृदयस्पर्शी उद्बोधन प्रस्तुत किया।

अपने अध्यक्षीय प्रबोधन में डा वेदप्रकाश मिश्रा ने अपने सार्थक संबोधन में किन्नर विषय को पौराणिक काल से जोड़ते हुए उत्तरभारतीय परंपराओं में उनकी सकारात्मक भूमिका का उल्लेख किया संविधान में डा बाबा साहब अम्बेडकर में सेक्स की जगह जेंडर शब्द के प्रयोग को उनकी दूरगामी सोच बताते हुए,अलग से किसी आरक्षण की जगह अपंगता की बात पर अधिकारों के लिए संघर्ष का तृतीयपंथियों से आव्हान किया। 

सभा के सुव्यवस्थित संचालन साहित्यकार प्रकाशक अविनाश बागड़े ने किया। व्यंग्यकार अनिल मालोकर ने अपने चिर परिचित अंदाज में आभार प्रदर्शन का दायित्व पूर्ण किया। स्नेह पांडेय ने कार्यक्रम के सफलतार्थ पुख्ता प्रयास किए।

कार्यक्रम में सर्वश्री डा सागर खादीवाला,दयाशंकर तिवारी मौन, नरेंद्र सतीजा, श्री कृष्ण नागपाल, सत्येंद्र प्रसाद सिंह, प्रेम जोगी, रामकृष्ण सहस्रबुद्धे, टीकाराम साहू, अजय पांडे, मीनाक्षी भालेराव,अशोक भालेराव, हेमलता मिश्र मानवी, रूबी दास, पूनम मिश्रा, डा स्वर्णिमा सिन्हा, माधुरी राउलकर, रविंद्र मिश्रा, छाया श्रीवास्तव, अमिता शाह, पूनम हिंदुस्तानी, प्रियंका सिंह, विनोद राजपूत, हीना ठक्कर, अशोक रावल, वासुदेव उइके, मीना यादव, संतोष गोस्वामी, सदाशिव तिवारी, हर्ष यादव तथा प्रेम दुबे सहित अन्य गणमान्य स्नेहिंजनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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