हिंदी पखवाड़े पर ‘मकाम’ की काव्य गोष्ठी संपन्न
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नागपुर। महिला काव्य मंच पुणे और नागपुर महाराष्ट्र की प्रथम गोष्ठी सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। हिंदी पखवाड़े के उपलक्ष्य में आयोजित इस काव्य गोष्ठी में मकाम के संस्थापक नरेश नाज़ ने महिलाओं के लिये मन से मंच तक पहुंचने के उद्देश्य से स्थापित महिला काव्य मंच की स्थापना पर प्रकाश डाला। संस्थापक नरेश नाज़ ने अपनी ओजपूर्ण वाणी से एक रचना सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि मकाम महाराष्ट्र अध्यक्ष अलका अग्रवाल सिगतिया ने पुणे की अध्यक्ष सुरभि सिंह को सुंदर संयोजन हेतु बधाई दी और हिंदी दिवस पर अपना एक व्यंग्य सुनाया। विशिष्ट अतिथि मकाम महाराष्ट्र उपाध्यक्ष रीमा दीवान चड्ढा ने हिंदी भाषा पर कविता सुनायी। कार्यक्रम का शुभारम्भ शीला भार्गव की गणपति वंदना से हुआ। उमा हरगण ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संयोजन, संचालन एवं अध्यक्षता पुणे शाखा की नव अध्यक्ष सुरभि सिंह ने की और अपनी एक कविता सुनायी। उषा जी ने अपने सुमधुर स्वर में एक गीत प्रस्तुत किया। रश्मि सबाले ने बहुत प्रभावी रचना सुनायी। नीलम शुक्ला, विशाखा खंडेलवाल, जिगिशा शाह, सुषमा अग्रवाल और किरण हटवार ने अपनी रचनायें सुनाकर भाव विभोर कर दिया। रेशम मदान, श्रीरेखा सजीवन, अलका देशपांडे और अन्य सखियां श्रोता के रूप में उपस्थित थे। रीमा दीवान चड्ढा ने आभार प्रकट किया।
भारत में एक प्रसिद्ध कहावत है कोस - कोस पर बदले पानी,चार कोस पर बानी ये कहावत मातृभाषा की महत्ता समझाने के लिए पर्याप्त है। एक शाम हिन्दी के नाम कार्यक्रम की शुरुआत यहीं से हुई। जिसमें हर प्रांत से महिलाओं ने भागीदारी की क्यूँकि विश्व की तमाम भाषाओं में एकमात्र हिन्दी भाषा जिसमें शब्द के अर्थ की बजाये भाव प्रमुख है। हर कविता भाव में ही सुनाई गई और वातावरण भावविभोर हो गया। हिन्दी की ख़ूबसूरती ही इस बात में है उसको ना समझने वाले भी जल्द ही उसको समझने लगते हैं। इसलिए अपनी प्यारी भाषा को बचाने की ज़िम्मेदारी हमारी है । सभी विदुषियों ने हिन्दी को बचाने और सजाने का प्रण लिया।