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सनातन संस्कृति में साधु संतो का अहम स्थान


रामचरितमानस को सर्व सहमति से राष्ट्र ग्रंथ घोषित करना चाहिए - स्वामी रामभद्राचार्य

जगदगुरु का आशीर्वाद पाकर मैं धन्य हुई - निक्की शर्मा

नागपुर/मुम्बई। सनातन संस्कृति में साधु संतों का अहम स्थान एवं विशेष महत्व है । सनातन में साधु तपस्वी, साधु संतों के प्रवचन और उनके ज्ञान का अमृतपान जो सदा सही मार्ग की ओर हमें रास्ता दिखाता है ऐसे ही महान संत धर्म चक्रवर्ती पद विभूषण तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज का आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला। 

प्रभु श्री राम की भक्ति में लीन करने एवं श्री राम कथा का अमृतान कराने हेतु धर्म चक्रवर्ती पद विभूषण तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के आगमन से मीरा भायंदर धन्य हुआ। रामभद्राचार्य जी महान संत के साथ देवभाषा संस्कृत के महान विद्वान, महान दार्शनिक है।अपना संपूर्ण जीवन मानव कल्याण को समर्पित कर देने वाले महान संत से मिलना और उनके आशीर्वचनों को पाना मेरे लिए मेरा जीवन सार्थक हो गया। गुरुदेव से मिला आशीर्वाद वचन मेरे जीवन में सदा साथ होगा। समाज कल्याण के लिए अनेक कार्य कर रहे गुरुदेव साथ ही धर्म की राह, मानव सेवा जैसे नेक कार्यों में हमें भी उनका साथ देना चाहिए। 

महाराज जी ने रामकथामृत के माध्यम से सनातन धर्मावलंबी समाज को उचित दिशा देने का प्रयास प्रमुख है। जगदगुरु ने कहा की रामचरितमानस को सर्व सहमति से राष्ट्र ग्रंथ घोषित करना चाहिए ।सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान, जप, तप, यम- नियम हैं। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है। सनातन धर्म परम कल्याण की ओर ले जाता है। सनातन धर्म को वैदिक धर्म भी कहते हैं। सनातन का अर्थ जो शाश्वत हो सदा के लिए जिसका महत्व हो शाश्वत हो वही सनातन है। जैसे ईश्वर ही सत्य है और सत्य के मार्ग पर चलना ही चाहिए। सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराने धर्म में एक है। 

श्री रामभद्राचार्य जी 22 भाषाओं के ज्ञाता है  कयी ग्रंथों के रचयिता है।अपने प्रवचनों और ज्ञान के भंडार से भक्तों को सही मार्ग दिखाकर उनके जीवन का उद्धार करते हैं। जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य की रचनाओं में कविताएं, नाटक, शोध,निबंध, टिकाएँ,प्रवचन सम्मलित हैं।स्वामी महाराज जी के द्वारा कई भविष्यवाणी भी की गई थी जो सही साबित हुई थी। रामभद्राचार्य जी के ज्ञान के भंडार हम सबको ज्ञान लेना हमारा सौभाग्य होगा। तुलसी पीठ में राम सीता को समर्पित एक मंदिर का निर्माण किया गया है जिसे कांच मंदिर के नाम से जाना जाता है। 

तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज द्वारा रामानंद मिशन जिसमें दिव्यांग जनों की सेवा, गौ सेवा, वृक्षारोपण, नदी स्वच्छता आदि जैसे सामाजिक कार्य किए जाते है।ऐसे महान संतों का आशिर्वाद सदा हमारी संस्कृति के साथ हमसब पे बना रहे।नयी दिशा सही राह के लिए ऐसे संतों का सानिध्य हमसब के लिए हर्ष लाता है।
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