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एशियन हॉकी चैंपियनशिप : भारत लगातार दूसरी बार विजेता


वर्तमान में चीन के हिलुनबिर शहर में संपन्न एशियन हॉकी चैंपियनशिप में भारत ने लगातार दूसरी बार एशियाई देशों के बीच अपनी बादशाहत स्थापित की है। प्रतिस्पर्धा के इस चुनौतीपूर्ण दौर में लगातार विजेता का ‘ताज’ पहनना हमारे खिलाडिय़ों एवं कोचेस की मेहनत और निरंतरता को दर्शाता हैं।
छः देशों की इस स्पर्धा में भारतीय हॉकी टीम ने लीग चरणों के मैचेज में शुरुआत जंगल के राजा, शेर की तरह की, जो जब चाहता है उठता है, घूमता है एवं अपनी स्वच्छंदता से अपना शिकार करता है। भारतीय टीम  प्रत्येक मैच में (केवल पाकिस्तान का मैच छोड़कर) आरंभिक क्षणों में ही गोल करके अपनी पकड़ बना लेती एवं फिर अपने ‘राजसी’ अंदाज़ में अपनी मर्जी के मुताबिक खेल की गती को तेज या धीमा करती। लीग चरणों के 5 मैचों में भारत ने अपने विरोधियों पर कुल 22 गोल किए एवं केवल 4 गोल खाए। 

दक्षिण कोरिया के खिलाफ मैच में हमारे कप्तान हरमनप्रीत सिंग ने अपने अंतरराष्ट्रीय खेल का 200 वा गोल कर खुद को भारतीय हॉकी के 2 महान दिग्गज खिलाडिय़ों मेजर ध्यानचंद एवं बलवीर सिंह (सीनियर) के साथ अपना नाम भी दर्ज करा लिया। पाकिस्तान के साथ मैच में सामान्यतया रोचक परंपरागत हॉकी देखने को मिलती है, लेकिन इस मैच में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। भारत बनाम दक्षिण कोरिया के मैच में पाकिस्तानी कोच अपनी पूरी टीम के साथ मैच देखने आए थे, जिससे कि वे भारत के खिलाफ मैच के लिए अपनी रणनीती बना सकें। भारत का वह मैच देखकर पाकिस्तान कोच यह समझ गए थे कि इस भारतीय टीम को खेल कर हराया नहीं जा सकता, अतः उन्होने पूरे मैच में (केवल आरंभिक 10 मिनट छोड़कर) रफ खेल खेला एवं जमकर स्लेजिंग की। जिसकी वजह से खिलाडिय़ों को कार्ड्स भी काफ़ी दिखाए गए।  भारत ने पिछले 17 मैचों से पाकिस्तान के खिलाफ अपने अजेय रिकॉर्ड को बनाए रखते हुए शुरुआत में 1 गोल से पिछड़ने के बावजूद  2- 1 से मैच जीत लिया।

सेमीफाइनल : अपने ही अंदाज़ में खेला गया अद्भुत मैच।

भारतीय टीम 2013 से दक्षिण कोरिया से खेल के नियमित समय में हारी नहीं है। भारतीय आक्रमण पंक्ति के उत्तरप्रदेश के गाज़ीपुर जिले के स्थान करमपुर के दो युवा खिलाड़ी उत्तम सिंग एवं राजकुमार पाल ने आपसी सहयोग का प्रदर्शन करते हुए कोरियाई टीम की मज़बूत रक्षा पंक्ति को भेदते हुए जब पहला गोल किया तो यह उनके लगातार साथ खेलने की की वजह से आपसी सूझबूझ को मोहर लगा गई। इस मैच के शुरुआत में कोरियाई कोच ने कहा था कि, ‘हमारी रक्षा पंक्ति एक ढाल की तरह मजबूत एवं अभेद्य है, हम भारतीय आक्रमण के भालों को रोकने में सफल होंगे एवं 1या 2 गोल करके फाइनल खेलेंगे’, उनके इस आत्मविश्वास एवं रणनीती को भारतीय टीम ने बुरी तरह से कुचलकर 4 - 1 से मैच जीतकर शानदार अंदाज़ में फाइनल में प्रवेश किया।

फाइनल :   चीन की टीम सेमीफाइनल में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर पाकिस्तान को हराकर आत्मविश्वास के साथ फाइनल में पहुंचीं थी। फाइनल मैच बहुत कठिन एवं प्रतिस्पर्धी रहा। मोकी स्टेडियम में अपने घरेलू दर्शकों के सामने पहली बार किसी टूर्नामेंट का फाइनल खेलने का यह उनका पहला अवसर था। चीन की टीम ने हमारे फॉरवर्ड्स को एक - एक करके पूरी तरह से मार्क किया हुआ था विशेष रूप से हमारे सेंटर लाइन के मनप्रीत सिंह एवं विवेक सागर प्रसाद जो कि हमारे आक्रमण के सिरमौर है, इनको तो पूर्ण रूप से ब्लॉक करके रखा हुआ था, जिससे कि यह दोनों अग्रिम पंक्ति तक गेंद पहुंचा ही नहीं पा रहे थे। मध्यांतर तक बॉल पजेशन भारत के पक्ष में 84% था, इसके बावजूद हम गोल नहीं कर पा रहे थे। यह हमारे खिलाडिय़ों एवं कोच के संयम की परीक्षा की घड़ी थी। इस बीच कुछ अंपायरिंग फैसले पक्षपाती रहे एवं हमारे खिलाफ गए। खिलाडिय़ों में गोल करने की उत्सुकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थीं, लेकिन भारतीय खिलाडिय़ों ने अपना संयम बनाए रखा। 

चीन के इस चक्रव्यूह को भेदने के लिए भारतीय टीम लगातार प्रयास करती रही, हमारे खिलाडिय़ों के कुछ शॉट्स गोल पोस्ट से मात्र कुछ दूरी से निकल गए, एक शॉट तो गोल पोस्ट से टकराकर वापस आ गया। खेल के आखरी क्वार्टर में भी स्थिती जस की तस बनी हुई थी कि अचानक कप्तान ने अपनी नीति में बदलाव किया। हमारे फॉरवर्ड्स को मार्क किया हुआ था तो कप्तान हरमनप्रीत सिंग खुद को जुगराज सिंग के साथ आगे लाया। चीन के खिलाड़ी इस नीति को समझ नहीं सके एवं जैसे ही हरमनप्रीत ने चीन के ‘डी’ में गेंद अनमार्क्ड जुगराज सिंग को दी, उन्होने अपने 63 वे मैच में अपना पहला फील्ड गोल दाग दिया। हमारी इस नीति ने उनके अभेद्य चक्रव्यूह को खेल के 52 वे मिनट में भेद दिया था।

भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंग जिन्हें " सरपंच" के नाम से भी जाना जाता है, टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया, जिसके वे हकदार भी थे। भारतीय टीम ओलम्पिक से कांस्य पदक लेकर लौटी थी, खिलाड़ी काफ़ी थके हुए थे, टीम के कुछ खिलाडिय़ों को विश्राम देकर उनकी जगह युवा खिलाडिय़ों को अवसर दिया गया, युवा खिलाडिय़ों ने काफ़ी अच्छे खेल का प्रदर्शन किया, एवं भारतीय हॉकी का भविष्य सुरक्षित है यह भरोसा देशवासियों को दिलाया। हॉकी इंडिया ने प्रत्येक खिलाड़ी को 3 - 3 लाख रूपए एवं सपोर्ट स्टॉफ को 1.5 - 1.5 लाख रुपए की ईनामी राशि देकर सम्मानित किया। एशियन हॉकी चैंपियनशिप को 5 वी बार जीतने पर संपूर्ण टीम एवं प्रबंधन को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

- जितेन्द्र शर्मा (खेल समीक्षक)
   नागपुर, महाराष्ट्र
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