उभरते सितारे' में 'शिक्षक मार्गदर्शक'
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नागपुर। जब भी बच्चे बड़े होते हैं, तो उन्हें धीरे-धीरे वह सब जिम्मेदारी देना चाहिए। हर संकट को स्वयं हल कैसे करे, वह उन्हें करने देना होगा। आज बच्चे स्मार्ट हो गए हैं। परंतु जो भी आवाहन उनके सामने आते हैं तो, वह घबराते हैं, निराश हो जाते हैं। वह छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाते हैं। कई बार आक्रामक हो जाते हैं। उन्हें संघर्ष करना सीखना बहुत जरूरी है। जीवन जीने के लिए उन्हें किस तरह संघर्ष करना होगा, किस तरह मिलजुलकर रहना है, यह सिखाना जरूरी है। यह कार्य मां-बाप और शिक्षक का है। यह विचार वैशाली प्रयागी जी ने बच्चों और उनके अभिभावकों के बीच रखें। उन्होंने कहानियों के माध्यम से भी अपनी बात कही कि किसान और ईश्वर का संवाद में छिपा संघर्ष का रहस्य।
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को प्रोत्साहन के लिए समर्पित लोकप्रिय उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत 'शिक्षक मार्गदर्शक' थीम पर ज्ञानवर्धक, संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप रामदास पेठ, सोमलवार हाई स्कूल की शिक्षिका वैशाली प्रयागी की उपस्थिति थीं । इनका सम्मान, संयोजक युवराज चौधरी और सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने स्वागत वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया।
कार्यक्रम की शुरुआत, प्रस्तावना के रूप में सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने 'शिक्षक मार्गदर्शक' विषय पर, अपने विचारों से बच्चों को शिक्षक का महत्व और उनकी आवश्यकता के विषय में विस्तार से समझाया। तत्पश्चात, बच्चों ने भी इस थीम पर अपने विचार, गीत और नृत्य से सबको मंत्रमुग्ध किया। जिसमें, विशेष रूप से राम बागल और दोर्फी जनबंधु के गीतों ने सबका मन जीत लिया। आरुष बिरादर और आयुष बुरडे ने शानदार नृत्य प्रस्तुत किया।
प्रतिभाशाली बच्चों की प्रस्तुतियों को अभिभावकों के साथ-साथ मोहन खन्ना, डॉ रोमन जनबंधु, दीपक भावे, अभिजीत बागल, मिनाक्षी केसरवानी, सुधीर जौंजाळ, शाहिद अली, गणेश ठाकुर, प्रीति बागल, प्रकाश पोहरे आदि ने बहुत सराहा। कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। तथा, उपस्थित सभी दर्शकों, अभिभावकों और कलाकारों का आभार संयोजक युवराज चौधरी ने व्यक्त किया।