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देव तुम्हारे लिए, पर चर्चा आयोजित


नागपुर/भोपाल। नाईन मसाला रेस्तरां में डाॅ मीनू पांडेय नयन के प्रेम कविता संग्रह, 'देव तुम्हारे लिए', पर चर्चा एवं संवाद आयोजित किया गया। कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ता रहे, भोपाल के जाने-माने वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश पटवा, श्री गोकुल सोनी, मुजफ्फर इकबाल सिद्दीकी और प्रेक्षा सक्सेना, सचिव, आरिणी समूह। कार्यक्रम का आयोजन आरिणी चेरिटेबल फाउन्डेशन भोपाल के द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना गोकुल सोनी ने प्रस्तुत की एवं सरस संचालन सुरेश पटवा द्वारा किया गया। यह कृति अनूठी एक सौ साठ प्रेम कविताओं का संग्रह है जो कि आइसेक्ट प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है। भूमिका डॉ विकास दवे, निदेशक साहित्य अकादमी एवं डॉ संतोष चौबे, कुलाधिपति, रवींद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने लिखी है। कार्यक्रम का आरंभ डॉ मीनू पांडेय नयन द्वारा कृति के सृजन के बारे में उल्लेखनीय बातों को साझा करने से हुआ और कृति से कुछ रचनाओं का पाठ भी किया गया।


उसके पश्चात मुजफ्फर इकबाल सिद्दीकी ने कृति पर रचनात्मक समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि  डॉ मीनू पाण्डे 'नयन' की कविताएं पढ़कर ऐसा लगता है कि इनके यहाँ प्रेम में बड़ी शालीनता है। बड़ा ही सब्र है। इसकी वजह ये भी हो सकती है कि आख़िरकार  सब्र ही तो  त्याग, तपस्या और समर्पण की पहली सीढ़ी है। बस यहाँ से ही प्रेम, आलौकिक प्रेम की मंज़िल को पा लेता है। यहीं से इश्क का जूनून वाल्हिना न होकर सूफियाना हो जाता है। खोने और पाने के मायनी  बदल जाते हैं। सब - ऐ - विशाल की आरज़ू ख़त्म हो जाती है। अब तो दिल कहता है। 'इश्क मोहब्बत वाले' कविता में आप लिखती हैं।


उल्फत - उल्फत आन बसी है, अब मन के हर कोने में। मिलान बिछोह से फर्क कहाँ, अब पड़ता दिल के कोने में। तोड़ के देखो रेशा- रेशा, नाम तुम्हारा छाप लिया। 
हम से पूछो क्या मिलता है, किसी का ऐसा होने में।" 
इनके प्यार के आदाब भी वैसे नहीं हैं जैसे ज़माने में होते हैं। इनके यहाँ कुछ और ही दृष्टिकोण है। इस काव्य संग्रह की अधिकाँश कविताओं में नेह शब्द को अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया है।
प्रेक्षा सक्सेना ने बताया कि "देव तुम्हारे लिए" लाजवाब कविताओं का संग्रह है जिसका स्थाई भाव प्रेम है।इसकी भाषा सरल और सहज गम्य है ।इसमें प्रेम के लौकिक से अलौकिक होने तक की यात्रा है ।देह से परे का प्रेम, आत्मा में समाहित प्रेम की अनुभूतियों में डूबी कविताओं के साथ साथ प्रेम के दूसरे पक्ष से भी ये संग्रह अछूता नहीं है ठीक उसी तरह जिस तरह निराकार की उपासना करते हुए अचानक साकार की पूजा कर ली जाए।इस संग्रह को पढ़कर अनुभूति होती है कि हम प्रेम के व्यावहारिक रूप की अनुभूति के साथ साथ प्रेम के आध्यात्मिक स्वरूप का भी साक्षात्कार कर रहे हैं।जिस तरह राधा की उपलब्धि श्री कृष्ण हैं उसी तरह देवी की उपलब्धि उसका देव है।

गोकुल सोनी ने कहा कि प्रेम ही सृष्टि का नियामक तत्व है। प्रेम के कई स्वरूप होते हैं।वास्तव में जहां हार या जीत का भाव हो, वहां प्रेम नहीं हो सकता। प्रेम तो बिना शर्त देने का भाव है। श्रीमती मीनू पाण्डेय "नयन" की कविताओं में प्रेम समग्र रूपों में रुपायित हुआ है।
सुरेश पटवा ने कहा कि 'देव तुम्हारे लिए' एक उत्कृष्ट काव्य संग्रह है जो मानव जीवन में प्रेम के विभिन्न स्तरों को को कविता के माध्यम से प्रकट करता है। किशोर वय में प्रेम देह में प्राकृतिक कारणों से एक तूफ़ान की तरह आता है। पहाड़ी नालों की तरह शरीर की शिराओं से उतरता है। दाम्पत्य का प्रेम सहूलियत से एक नहर की तरह जीवन में रस घोलता चलता है। प्रेम लौकिक जीवन में एक ज़रूरत का कुआँ है जो रिश्तेदार, मित्र, जीव, वस्तु, और प्रत्येक क्षेत्र को जीवन जल उपलब्ध कराता है। प्लेटोनिक प्रेम एक नदी की तरह स्नेहपूर्ण रिश्ता है जिसमें यौन तत्व नहीं रहता है। अलौकिक प्रेम अंतरिक्ष में मुक्त विचरण से ईश्वर मिलन में घुलता है। संग्रह में इन सभी रूपों पर उत्तम कविताएँ संग्रहित हैं। 

आभार प्रदर्शन डॉ प्रभात पांडेय द्वारा किया गया। डॉ मोहन तिवारी आनंद, अशोक निर्मल , अशोक व्यग्र, हरिओम श्रीवास्तव, डॉ राजेश तिवारी, डॉ पुरुषोत्तम तिवारी साहित्यार्थी, सतीश शर्मा सहित शहर के मूर्धन्य साहित्यकारों ने मूसलाधार वारिश के बावजूद अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर कार्यक्रम को सफलता प्रदान की। 
कार्यक्रम के अंत में भोपाल शहर के वरिष्ठ साहित्यकार स्व सुशील कुमार जैन 'गुरु' के इंदौर में आकस्मिक निधन पर उपस्थित सभी साहित्यकारों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
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