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सर्व धर्म समभाव का प्रतीक बेलीशॉप प्राचीन श्री शिव मंदिर


नागपुर। 350 वर्ष पुराना भोंसले कॉलिंग बेलीशॉप स्थित प्राचीन श्री शिव मंदिर वास्तुकला का उत्तम नमूना है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग एक अखंड शीला को कुरेतकर बनाया गया। मंदिर में बड़े-बड़े पत्थरो को एक दूसरे पर रखकर बनाए गए इस शिव मंदिर की रचना वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर की तरह है। जिसमें गोल गुंबद है व गर्भगृह के भीतर विश्वनाथ मंदिर की तरह नक्काशी की गई है। मंदिर परिसर में एक पानी का कुआं है। जिसका पानी अन्य स्थानों पर उपलब्ध कुएं के पानी से मीठा है। बारिश के दिन में कुएं का पानी जमीन स्तर से ऊपर तक आ जाता है। परिसर में जमीन के नीचे मात्र 4 से 5 फीट पर बड़ी-बड़ी चमकीले पत्थर की चट्टानें हैं। जो मंदिर की पौराणिकता का बखान करती है। परिसर करीब 5000 वर्ग फुट में विस्तारित थे। क्षेत्र के लोग इस मंदिर को एक जागृत मंदिर मानते हैं। महाशिवरात्रि व श्रावण मास में नाग देवता स्वयं शिव मंदिर में दर्शन देते हैं। ऐसा कहा जाता है।सर्वधर्म समभाव के दर्शन यहां होते है।


ब्रिटिश काल में शास्त्रगार था -
क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि ब्रिटिश काल में इस रेलवे कॉलोनी परिसर का उपयोग अस्तबल के लिए किया जाता है। जहां आज मोतीबाग कारखाना है, वहां अंग्रेज शस्त्र बनाया करते थे। इसी शस्त्र को अन्य जगह लाने ले जाने हेतु रेल लाइन बिछाई गई थी। स्वतंत्रता के बाद जब गुलजारीलाल नंदा प्रथम रेल मंत्री बने तो उन्होंने इस परिसर में दौरा किया। उन्होंने इन तबले रूपी क्वार्टर्स को सुधार कर उन्हें रेल कर्मचारियों के रहने के लिए उपयोग करने के निर्देश दिए। रेलमंत्री नंदा भी इस मंदिर में दर्शन के लिए आए थे। यहां का भौगोलिक परिसर रमणीय है। मंदिर परिसर में नारियल, गूलर जामुन, बेल, बेर, नीम, पीपल, केला, बरगद आदि सभी पूजा के वृक्ष है। यहां 200 वर्ष पुराना पीपल का विशाल वृक्ष पूरे मंदिर परिसर पर चैट की तरह फैला है। इसी तरह 100 वर्ष पुराने पेड़ भी मौजूद है। जिससे परिसर की हवा शुद्ध रहती है। 


किरणोत्सव का अद्भुत नजारा -
 मंदिर की रचना ऐसी है कि यहां चैत्र नवरात्र में सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग पर पड़ती है। इस तरह यहां बने राम मंदिर में भी सूर्यकिरण प्रथम चरण पर फिर नाभि पर अंतिम में राम जी के मुख मंडल पर पड़ती है। इसकी वास्तु ऐसी बनी है कि 5000 वर्ग फुट पर सभा मंडप होने के बाद भी सूर्य देवता अपने किरणों से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। यह नजारा अद्भुत होता है। ऐसा ही नजरा कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में देखने को मिलता है। इस अवधि में यहां किरणोत्सव मनाया जाता है। इस नजारे को देखने हेतु भक्तों का ताता सुबह 6:00 से 6:30 तक लगा रहता है। कार्तिक मास में मंदिर में दीपोत्सव का आयोजन भी किया जाता है।  जिसमें हजारों दीपों को एक साथ प्रज्वलित किया जाता है।  भक्तों की श्रद्धा है कि उनकी मुरादे यहां पूर्ण होती है। परिसर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे कॉलोनी बेलीशॉप , मोतीबाग के मध्य स्थित है। मंदिर परिसर में ही भगवान गणेश, श्री रामदरबार, महावीर हनुमानजी व माता दुर्गा का स्वतंत्र मंदिर है। 


रामनवमी पर निकलती है शोभायात्रा -
रामनवमी के अवसर पर इस मंदिर से भगवान राम की भव्य शोभायात्रा यात्रा गत 22 वर्षों से निकल जा रही है। इस मंदिर में अष्टधातु की सवा फीट ऊंची रामजी, सीताजी, लक्ष्मणजी व हनुमानजी के विग्रह है।  सामाजिक उत्सव में रक्तदान शिवर, स्वास्थ्य शिविर, शोभायात्रा के माध्यम से बेटी बचाओ, पेड़ बचाओ, पानी बचाओ जैसे संदेश देकर लोगों को जागृत करने का कार्य किया जाता है। साथ ही वृक्षारोपण का अभियान भी मंदिर परिसर में लिया जाता है।  यह परिसर रेलवे परिसर में होने के बावजूद मंदिर ट्रस्ट द्वारा महानगरपालिका में टैक्स भरा जाता है। बुजुर्ग बताते हैं कि यहां मंदिर के आसपास रेलवे आने से पहले खेती हुआ करती थी। संभवतः मंदिर के नीचे से नदी का स्रोत बह रहा होगा। जिसकी वजह से यहां पानी का लेवल जमीन स्तर तक है। साथही पत्थरों के ऊपर से बहता पानी मीठा है। वर्ष 1960 में इस मंदिर के संचालन हेतु ट्रस्ट का गठन किया गया। परिसर के समक्ष सुंदर बगीचे बनाया गया है।भविष्य में मंदिर परिसर में  चैरिटेबल अस्पताल बनाने का मांस है। 


वर्षभर चलते है उत्सव -
सभी उत्सव को यहां पूर्ण धार्मिकता व सामाजिकता का आधार देकर मनाया जाता है। जिसमें दक्षिण भारतीय समुदाय द्वारा दीपोत्सव, दीपावली पर आने वाली नागपंचमी नागल चौथ व भोगी उत्सव मनाया जाता है। उत्तरभारतीय समाज द्वारा सबसे बड़ा उत्सव छट पूजा बड़ी धूमधाम से मनैंजत है। नियमित सुंदरकांड का पाठ, अखंड रामायण, भजन कीर्तन, दीपावली मिलन अनाथ बच्चों के साथ मनाया जाता है। यहां आश्विन नवरात्र,  चैत्र नवरात्र भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है। गणेश उत्सव, हनुमान जन्मोत्सव, तीज,  श्रावण में इस मंदिर में शहर के विभिन्न क्षेत्रों से कावड़ यात्रा लेकर पहुंचते है। मंदिर में नियमित पुजारी सुबह शाम आरती पूजा करते हैं। 


श्रद्धा व विश्वास से होती है दैवीय अनुभूति -
इस मंदिर से गत 35 वर्षो से नियामित जुड़े श्रद्धालु डॉ. प्रवीण डबली ने बताया  पौराणिकता व परिसर की शुद्धता के कारण यहां श्रद्धा व विश्वास से होती है दैवीय अनुभूति होती है। इसका मैं स्वयं साक्षी हूं। अनेक प्रसंग यह जागृत स्थान होने का आभास कराते है।  यहां लोग अपनी मनोकामना लेकर श्रद्धा से आते है। अनेक श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्हेन्निया मंदिर पर की श्रद्धा से लाभ हुआ है। यहां के हर आयोजन में भक्तो का विशेष सहयोग प्राप्त होता है।  सर्वधर्म समभाव का दर्शन यहां होता है। 

- डॉ. प्रवीण डबली
   वरिष्ठ पत्रकार, नागपुर (महाराष्ट्र)
समाचार 1854017953624211729
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