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कारगिल योद्धाओं को किया सम्मानित


नागपुर। 25 साल पहले हुए कारगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय) के दौरान श्रीनगर से द्रास सेक्टर तक गोलाबारुद पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। 83 दिन चले युद्ध के दौरान रात को गोलाबारुद लेकर निकलना पड़ता था। टार्च शुरु करने की इजाजत भी नहीं थी। टार्च पर काला कागज या कपड़ा लगाना पड़ता था। रात भर संकरे, निर्जन खतरनाक रास्ते से 18 हजार फीट की उंचाई तक चढ़ना पड़ता था। दिन में नीचे उतरना पड़ता था। उनके यूनिट के 22 जवान शहीद हुए। 1987 से 2017 तक 30 साल सेना में सेवारत थे। ऐसा कारगिल योद्धा सेवानिवृत्त कैप्टन संजय खंदारे ने बताया। आजादी के पर्व पर संगीत सरिता परिवार व स्वर अलंकार ग्रूप की तरफ से जैन भवन गांधीबाग में कारगिल योद्धाओं का सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

कार्यक्रम की शुरुआत मां भारती के छायाचित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन व वंदेमातरम् गीत गायन से हुई। सत्कारमूर्ति कारगिल योद्धा सेवानिवृत्त कैप्टन संजय खंदारे, सेवानिवृत्त सुभेदार जे.टी. ब्राह्मणकर, सेवानिवृत्त हवालदार अरविंद कुमार बघेले को आमंत्रित किया गया। कारगिल योद्धाओं को अतिथियों के हाथों से शॉल, श्रीफल, सम्मानपत्र और ‘वंदेमातरम् सम्मान 2024’ स्मृतिचिह्न  प्रदान किया गया। 
मां भारती के गौरवार्थ देशभक्ति गीत कार्यक्रम में अतिथि के रुप में गांधीबाग तहसील के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संदीप बुआ, समाजसेवी नंदा पराते, योग प्रशिक्षक रमेश गुप्ता, समाजसेवी संजय जाधव, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी राजेंद्र नागरे प्रमुखता से उपस्थिति थे। 

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अतिथियों को पुष्पगुच्छ व स्मृतिचिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस दौरान मां भारती के गौरवार्थ देशभक्ति गीतों का कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम का संयोजन व संचालन अरविंद कोसारकर व राज टाकलीकर ने किया। आरती ढाकुलकर, मनीषा गव्हाणे, डॉ. पुष्पलता नंदनवार, पल्लवी दाऊतखानी, संजय चरडे, राजेश धकाते, जयंतीलाल शर्मा, विजय देशकर, राजेश महाजन, मनीष सुशीबिने, मिलिंद मून, सत्यजीत नायक, पियूष शिंदे, विनोद अग्रवाल आदि ने कार्यक्रम की सफलतार्थ प्रयास किया।
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