भारतीय समाज के सजग प्रहरी थे प्रेमचंद : डॉ. विजय शर्मा
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नागपुर। प्रेमचंद भारतीय समाज के सजग प्रहरी थे।उनका साहित्य मानवीय संवेदना की अभिव्यक्ति है। उन्होंने सामाजिक समस्याओं का अंकन ही नहीं किया बल्कि उनके समाधान का मार्ग भी प्रशस्त किया। यह बात शिवायु आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, साहित्यकार डॉ. विजय शर्मा ने कही। वे हिन्दी विभाग, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा प्रेमचन्द जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। व्याख्यान का विषय था - हमारे समय में प्रेमचन्द। डॉ शर्मा ने कहा कि उनका साहित्य ऐसे समाज का सृजन करता है जो समता, स्वतंत्रता का पक्षधर है।उन्होंने भारतीय सामाजिक मूल्यों को अपने लेखनी के माध्यम से प्रतिष्ठित किया।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि वरिष्ठ पत्रकार आनंद निर्बाण ने कहा कि प्रेमचन्द के उपन्यासों में मानवीय जीवन का यथार्थ चित्रण हुआ है। वे जन-मन की सहज अनुभूतियों के रचनाकार थे। उन्होंने जनभाषा में अपने समय की समस्याओं को अंकित किया। समय बदल गया है, परिवेश बदल गया है किन्तु जो समस्याएं और विसंगतियां उनके समय थी, वे आज भी विद्यमान हैं।प्रास्ताविक रखते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द का साहित्य कालातीत है। उनका रचना संसार जन सामान्य के जीवन से जुड़ा है। वे समाज के उपेक्षित, पीड़ित वर्ग की वाणी थे। उनके सरोकारों का दायरा बृहद और व्यापक था। आभार व्यक्त करते हुए सहयोगी प्राध्यापक डॉ. संतोष गिरहे ने कहा कि प्रेमचन्द ने अपनी कहानियों में जीवन-मूल्यों की स्थापना की।
कार्यक्रम का संचालन प्रा. जागृति सिंह ने किया। इस अवसर पर नगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार अविनाश बागड़े, डॉ. संतोष 'बादल', इन्दिरा किसलय, हेमलता मिश्र मानवी, डॉ. सुमेध नागदेवे, डॉ. श्यामप्रकाश पांडे, प्रा. रवि शुक्ला, रमेश दकाते, डॉ. लखेश्वर चंद्रवंशी, डॉ. सुमित सिंह, डॉ. एकादशी जैतवार, प्रा. दामोदर द्विवेदी, आकांक्षा बांगर, विनय उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित थे।