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अनुसंधान पद्धति पर परिचर्चा संपन्न


असोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ़ इंडिया, विदर्भ चैप्टर का उपक्रम

नागपुर। एसोसिएशन फिजिशियन ऑफ़ इंडिय, रिजर्व चैप्टर एपीआई ने चिकित्सकों के लिए अनुसंधान पद्धति पर परिचर्चा का आयोजन होटल सेंटर पॉइंट में किया था। अध्यक्ष डॉ निखिल बालंखे ने स्वागत भाषण करते हुए अनुसंधान पद्धति एक दिवसीय सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। शोध पद्धति का उद्देश्य यह  सुनिश्चित करता है कि अनुसंधान कठोरता से पारदर्शी रूप से और पुनरउत्पादनियमें रूप से किया जाए। संयोजिका डॉक्टर राजश्री खोत ने इस अवसर पर कहा कि अनुसार पद्धति से तात्पर्य अनुसंधान करने के लिए उपयोग किए जाने वाले व्यवस्थित और संरचित दृष्टिकोण से है। जिसमें डेटा एकत्रित करने, विश्लेषण करने और व्याख्या करने के लिए नियोजित विधियां, तकनीके और प्रक्रिया शामिल होती हैं। 


महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान सेवाग्राम के विभाग प्रमुख डॉक्टर एस .बी.कलंत्रि ने भारत में शोध के भयानक परिदृश्य का वर्णन किया और आशा व्यक्त की कि देश में शोध की एक संस्कृति विकसित होनी चाहिए, जिसे स्नातक स्तर पर आत्मसात किया जाना चाहिए। अध्ययन डिजाइनर और उद्देश्य निर्धारण डॉ सुशील पांडे द्वारा प्रस्तुत किया गया। नमूना जाकर गाना और आवश्यक संख्याकी, डॉ. विजय द्वारा प्रस्तुत की गई, डीआर चैताली चिंदलोरे ने नैदानिक परीक्षणों में नैतिक विचारों के बारे में अपने विचार रखें, नैदानिक अनुसंधान का अवलोकन एम्स, नागपुर के निदेशक डॉ. पी.पी.जोशी द्वारा प्रस्तुत किया गया। 

इस अवसर पर डॉक्टर गणेश टकले डॉ. यामिनी पुसदेकर, डॉ प्रथमेश कांबले ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम समापन पर अनुसंधान से संबंधित समस्याओं पर एक समूह गतिविधि हुई, जिसमें डॉ राजश्री खोत, चैताली चिंदलोरे, डॉ प्रशांत गोवर्धन, डॉ तनूजा मनोहर, सुनंदा चावजी, माधुरी होले, दीप्त चंद, संजय जैन, एस.एन. देशमुख, पीके देशपांडे, दीपक जैसवानी निर्मल जायसवाल, आरबी कलमकार, रमेश मुंडे, अश्विनी तायडे, वंदना आदमने आदि ने गहन चर्चा की। डॉ. सुधीर चाफले ने सफल संचालन और धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
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