उभरते सितारे में ‘पर्यटन स्थल’
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नागपुर। प्राचीन काल से पर्यटन याने यात्रा मनुष्य की प्रवृत्ती रही हैl तब यात्रा के तरिके और संकल्पना अलग थी। यात्रा का उद्देश नये क्षेत्रो का पता लगाना, व्यापार करना और धार्मिक स्थानो का भ्रमण करना होता थाl ये यात्री और व्यापारी विभिन्न इलाको, देशो और राज्यों से होकर यात्रा करते थे। इसलिए, र्विभिन्न राज्यों कि राजधानी, शहर, बंदरगाह बाजार केंद्र और व्यापार मार्ग आपस में घानिष्ठ रूप से जुडे हुए थे l इससे ये हुआ की विविध मानव समूह, उनकी संस्कृतियां एक दुसरे कों जानने लगे। और, कई चीजों का आदान प्रदान हुआ और वे एक दुसरे के सामाजिक जीवन कों समझने लगेl मध्य युग के दौरान आनंद और मनोरंजन के लिए यात्रा की अवधारणा सबसे पहले युरोप में रोमनो द्वारा विकसित हुईl वहाँ के लोग मिस्र के पिरेमिड, अथेन्स और ग्रीस में स्मार्टा, वहाँ की भव्य शहरी रचनायें, देवताओं के मंदिर, मूर्तिया, खेल के मैदान देखने जाते थेl यह विचार प्रो. अमरदीप बारसागडे जी ने बच्चों और उनके अविभावकों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होने भारत और विदेशो में स्थित अनेक पर्यटन जगह का उल्लेख किया और उनके बारें मे अद्भुत बातें भी बताईl
विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन का नवोदित प्रतिभाओं को प्रोत्साहन के लिए समर्पित लोकप्रिय उपक्रम 'उभरते सितारे'। जिसके अंतर्गत 'पर्यटन स्थल’ थीम पर ज्ञानवर्धक, संगीतमय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विद्यापीठ के पर्यटन विभाग के प्रो. अमरदीप बरसागडे जी उपस्थित थे। इनका सम्मान स्वागत वस्त्र और मोमेन्टो देकर किया गयाl
तत्पश्चात, बच्चों ने भी 'पर्यटन स्थल ' इस थीम पर अपने किस्से सुनायें। एवं अपनी सुंदर कला का प्रदर्शन करते हुए सुमधुर गीतों की श्रृंखला मे भव्या अरोरा, राम बागल, तन्वी यादव के गीत और मनस्विनी कोलनकर के नृत्य ने सबका मन मोह लिया l
प्रतिभाशाली बच्चों की प्रस्तुतियों को, आशा वेदप्रकाश अरोरा, प्रीती बागल, प्रगती कोलनकर, सुधा सावरकर, भूमी यादव, तुषार यादव, युवराज चौधरी, दीपक भावे, बाबा खान, आदि ने बहुत सराहा। कार्यक्रम में प्रशांत शंभरकर ने सहयोग किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सहसंयोजिका वैशाली मदारे ने किया। तथा, उपस्थित सभी दर्शकों, अभिभावकों और कलाकारों का आभार प्रशांत शंभरकर ने व्यक्त किया।